
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को देश का ''बही खाता'' पेश किया. इसमें कॉरपोरेट सेक्टर को बड़ी राहत मिली है. नए प्रस्ताव के तहत अब 400 करोड़ रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाली कंपनियां 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स स्लैब में रहेंगी. इससे पहले 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स के दायरे में 250 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियां शामिल थीं. अब सिर्फ 0.7 फीसदी कंपनियां कॉरपोरेट टैक्स के स्लैब से बाहर रहेंगी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय इकोनॉमी को रफ्तार देने में सूक्ष्म, लघु, छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की अहम भूमिका है. ऐसे में इस सेक्टर में निवेश की जरूरत है. इसके साथ ही विदेशी और घरेलू निवेश को बढ़ाने पर सरकार का जोर रहेगा. उन्होंने बताया कि एमएसएमई को 1 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर 2 फीसदी ब्याज सब्सिडी देने की घोषणा की गई. इस पर 35 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा. वहीं जीएसटी-पंजीकृत एमएसएमई के लिए 350 करोड़ रुपये आवंटित हैं.
अंतरिम बजट में लगा था झटका
इससे पहले फरवरी में अंतरिम बजट में कॉर्पोरेट सेक्टर को झटका लगा था. दरअसल, बड़ी इंडस्ट्री को उम्मीद थी कि कॉर्पोरेट टैक्स में राहत मिलेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. वहीं, अंतरिम बजट में एल्यूमीनियम इंडस्ट्री की ओर से आयात पर अंकुश लगाने के लिए प्राइमरी एल्यूमीनियम और स्क्रैप मेटल दोनों पर मौजूदा सीमा शुल्क को बढ़ाकर 10 फीसदी कर देने की मांग की जा रही थी. वहीं ऑयल एंड एनर्जी सेक्टर की निवेश पर जोर देने की मांग थी. बायोफ्यूल/बायोडीजल संयंत्र लगाने के लिए आवश्यक मशीनों के आयात पर जीरो शुल्क कर देने की मांग की गई थी.
MSME इंडस्ट्री पर था फोकस
हालांकि अंतरिम बजट में सरकार की ओर से सूक्ष्म, लघु, छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को 1 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर 2 फीसदी ब्याज सब्सिडी देने की घोषणा की गई. वहीं 59 मिनट में 1 करोड़ तक के कर्ज देने की बात कही गई. वहीं सरकारी खरीद में एमएसएमई की हिस्सेदारी को सरकारी ईमार्केटप्लेस (जीईएम) के माध्यम से बढ़ाया गया है. अब यह 25 फीसदी कर दिया गया है. इसमें महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे एमएसएमई का 3 फीसदी शामिल है.