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बजट: पीयूष गोयल ने किया था नजरअंदाज, क्या निर्मला लेंगी छात्र-छात्राओं की सुध

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 5 जुलाई को आम बजट पेश करने वाली हैं. इस बजट से छात्र-छात्राओं को काफी उम्‍मीदें हैं.

छात्र-छात्राओं को बजट से काफी उम्‍मीदें हैं (फोटो-IANS) छात्र-छात्राओं को बजट से काफी उम्‍मीदें हैं (फोटो-IANS)
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 02 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 11:49 AM IST

देश की वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को आम बजट पेश करने वाली हैं. इस बजट से एजुकेशन सेक्‍टर को काफी उम्‍मीदें हैं. दरअसल, बीते फरवरी महीने में मोदी सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था. इस बजट में कई ऐसे सेक्‍टर थे जिन्‍हें उम्‍मीद के मुताबिक तोहफे नहीं मिले. इन्‍हीं में एक एजुकेशन सेक्‍टर था. एजुकेशन सेक्‍टर को तब के वित्त मंत्री पीयूष गोयल से बड़े तोहफे की उम्‍मीद थी लेकिन शिक्षा बजट में मामूली बढ़ोतरी हुई.

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वहीं सरकार के अंतरिम बजट में केंद्रीय विश्वविद्यालयों की फंडिंग में कोई बदलाव नहीं किया गया. इसके अलावा नए आईआईटीज स्थापित करने के लिए कोई राशि आवंटित नहीं की गई. यही नहीं, सरकार के उच्च शिक्षण संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू करने और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 25 फीसदी सीटें बढ़ाने का आदेश देने के बाद भी इन संस्थानों के बजट में कोई बदलाव नहीं हुआ.

अंतरिम बजट में क्‍या था ?

बीते फरवरी महीने में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल द्वारा पेश अंतरिम बजट में स्कूल और उच्च शिक्षा के लिए संयुक्त रूप से 93,847.64 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के लिए 56,386 करोड़ रुपये का बजट आवंटित हुआ, जो पिछले साल के 50,000 करोड़ रुपये से करीब 6300 करोड़ ज्यादा है.

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वहीं पीयूष गोयल ने उच्च शिक्षा विभाग के लिए 37 हजार 461.01 करोड़ रुपये आवंटित किए.अंतरिम बजट में आईआईटीज के लिए आवंटित राशि में मामूली बढ़ोतरी देखी गई. इसमें पिछले साल आवंटित राशि 5,613 करोड़ रुपये से इस साल बढ़ाकर 6,143.03 करोड़ रुपये कर दी गई. जबकि सरकार ने मध्याह्न भोजन योजना के लिए पिछले साल के 10,500 करोड़ रुपये की तुलना में इस वर्ष 11,000 करोड़ रुपये आवंटित किए.

2018 में क्‍या था खास?

2018 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के आखिरी पूर्ण बजट में एजुकेशन सेक्टर के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने पर फोकस किया गया था. तब स्कूलों में टीचर्स की क्‍वॉलिटी और डिजिटल करने पर भी जोर दिया गया था. वहीं वड़ोदरा में रेलवे यूनिवर्सिटी बनाने और 17 नए आईआईटी और एनआईटी स्कूल खोले जाने का ऐलान किया गया.

इस बार क्‍या हैं उम्‍मीदें ?

इस बार के बजट में सरकार केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालयों की संख्या बढ़ा सकती है. इसके अलावा हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन की संख्या बढ़ाने पर काम होने की उम्‍मीद है. बजट में छात्रों के लिए स्मार्ट क्लासेज की शुरुआत कर नई तकनीक से पढ़ाई पर जोर दिया जा सकता है.

डिजिटल एजुकेशन पर जोर

ऑनलाइन एजुकेशन और मिडिल स्कूलों को ऑपरेशनल डिजिटल बोर्ड के तहत लाने की दिशा में काम किया जाएगा. इस पर स्‍टार्टअप डिजिटल गुरुकुल के फाउंडर डॉ. राज पढियार का कहना है कि सरकार को व्यावसायिक संस्थानों के लिए "स्वच्छ भारत" और "स्मार्ट सिटी" जैसे पूरे भारत में "प्रतिस्पर्धी रैंकिंग प्रणाली" स्थापित करनी चाहिए. इससे एजुकेशन सेक्‍टर को फायदा होगा.

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इसके अलावा, आने वाले बजट में सरकार को डिजिटल एजुकेशन के लिए नेशनल सेंटर में निवेश करना चाहिए. इससे स्किल डेवलप करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा विभिन्न डिजिटल और साइबर सुरक्षा चुनौतियों से भी आसानी से निपटा जा सकेगा. इसके अलावा सरकार प्रधानमंत्री इनोवेटिव लर्निंग प्रोग्राम की शुरुआत करने की तैयारी में है. इसमें देशभर के टैलेंटेड बच्चों को एक जगह इकट्ठा किया जाएगा.

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