
आम बजट 2021-22 की सुगबुगाहट शुरू होने के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर और प्रमुख अर्थशास्त्री रघुराम राजन का कहना है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार को अपने खर्चों की प्राथमिकता तय करनी चाहिए. साथ हीअपनी माली हालत सुधारने के लिए लोक उपक्रमों (PSU) में हिस्सेदारी बेचने पर गौर करना चाहिए.
सरकार तय करे प्राथमिकता
पीटीआई की खबर के मुताबिक रघुराम राजन ने कहा वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पेश किए जाने वाले बजट में ''सरकार को खर्च की प्राथमिकता तय करनी होगी, मतलब कि उसे सोचना होगा कि किस मद में खर्च जरूरी है. जैसे गरीब परिवारों और छोटे कारोबारियों को राहत पहुंचाई जाए.'' इसके बाद सरकार को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उपाय करने चाहिए. हालांकि उन्होंने इस बारे में और विस्तार से बात नहीं की.
चढ़ते शेयर बाजारों का उठाएं लाभ
राजन ने कहा, ‘‘ मैं होता तो चढ़ते शेयर बाजारों का लाभ उठाना चाहता. घाटे को कम करने के लिए सबसे बेहतर उपाय परिसंपत्तियों को बेचना हो सकता है.’’ सरकार को अपना खर्च बढ़ाने के लिए पैसे चाहिए और इसके लिए लोक उपक्रमों (PSU) में हिस्सेदारी बेची जा सकती है.
इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च सबसे बढ़िया
इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च को राजन ने अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के सबसे बढ़िया उपायों में से एक बताया. इस पर अधिकतर खर्चा राज्य करते हैं, ऐसे में उन्हें पैसे मिलने चाहिए.
2022 के अंत तक पहुंच सकती है अर्थव्यवस्था के कोविड-19 से पहले के स्तर पर
राजन ने कहा, ‘‘ हम अर्थव्यवस्था में सुधार देखेंगे लेकिन सवाल ये है कि हम खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए क्या कर रहे हैं? विश्वबैंक (World Bank) का अनुमान है कि कोरोना काल खत्म होने तक हम अपनी अर्थव्यवस्था का करीब 900 अरब डॉलर (लगभग 6,584 अरब रुपये) खो चुके होंगे. मुझे नहीं पता ये अनुमान अच्छे हैं या बुरे लेकिन यह हमारी GDP का एक तिहाई है. इसे कोविड-19 से पहले के स्तर तक लाने में हमें कितना समय लगेगा? मेरा मानना है कि 2022 के अंत से पहले ऐसा होने की संभावना कम है.’’
सुधारों पर क्या कहा
RBI के पूर्व गवर्नर ने कहा कि सुधार अति महत्वपूर्ण हैं. लेकिन हमें उन्हें इस तरह से करना चाहिए कि उसकी प्रतिक्रिया ना हो, मतलब की उन पर और अधिक विचार-विमर्श होना चाहिए. इसमें ‘my way or the highway’ का भाव कम होना चाहिए. राजन का यह बयान किसानों के नए कृषि कानून के विरोध के बीच आया है. इस पर विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार ने बिना सही से चर्चा किए ही इन कानूनों को पास कर दिया.
ऊंची वृद्धि के लिए रोजगार बढ़ाना जरूरी
‘‘ मैं बार-बार कहता आ रहा हूं कि अर्थव्यवस्था में मरम्मत की जरूरत को भूल रहे हैं. अर्थव्यवस्था के बहुत से हिस्सों को सहारे की बहुत जरूरत है. सरकार कुछ सुधार करने का प्रयास कर रही है, लेकिन हमारी आर्थिक वृद्धि दर में महामारी से पहले भी गिरावट आ रही थी. हमें सिर्फ अपनी खोयी जमीन वापस पाने के लिए ऊंची आर्थिक वृद्धि दर नहीं चाहिए. बल्कि देश के श्रम बाजार में शामिल हो रहे करोड़ों लोगों के लिए रोजगार पैदा करने की भी जरूरत है.’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना तीसरा बजट इस साल एक फरवरी को पेश करेंगी. इस बार का आम बजट पूरी तरह से पेपरलेस होगा.