
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को फाइनेंशियल ईयर 2022-23 का केंद्रीय बजट (Union Budget 2022-23) पेश किया. स्टैंडर्ड डिडक्शन में आखिरी बार 2019 में इजाफा किया गया था. लोग इस बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफे की उम्मीद कर रहे थे.
हालांकि, सरकार ने इसको लेकर किसी तरह का ऐलान नहीं किया. इससे Salaried Taxpayers को निराशा हाथ लगी. वर्तमान में Salaried Taxpayers को 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction Limit) मिलता है.
क्या होता है स्टैंडर्ड डिडक्शन?
स्टैंडर्ड डिडक्शन आपकी इनकम का वह हिस्सा है जिस पर टैक्स देय नहीं होता है. इससे आपके टैक्स बिल में कमी आ जाती है. यह एक तरह की ऐसी छूट है जिसके लिए खर्च का कोई प्रुफ दिखाने की जरूरत नहीं होती है. इसे आम तौर पर ग्रॉस सैलरी में से घटा दिया जाता है. इस समय सभी सैलरीड टैक्सपेयर्स (Salaried Taxpayers) को 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) मिलता है. ऐसे में अगर आपकी सालाना ग्रॉस सैलरी 6 लाख रुपये है तो स्टैंडर्ड डिडक्शन के बाद यह 5.50 लाख रुपये रह जाएगी.
जानिए कब आई थी यह व्यवस्था
स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रावधान पहले भी था लेकिन फाइनेंस एक्ट 2005 में इसे खत्म कर दिया गया था. वर्ष 2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरूण जेटली ने दोबारा बजट में इसका प्रावधान किया. उन्होंने सालाना 19,200 रुपये के Transport Reimbursement और 15,000 रुपये के Medical Reimbursement के स्थान पर 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रोविजन किया था.
2019 में स्टैंडर्ड डिडक्शन में हुआ था इजाफा
साल 2019 का अंतरिम बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने का ऐलान किया था. उसके बाद से हर साल लोग इसमें इजाफे का इंतजार कर रहे थे.