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Economic Survey : नोटबंदी-GST समेत इन 5 अहम फैक्टर पर हो सकती है बात

पिछले साल के बजट आवंटन का कितना सही इस्तेमाल हुआ और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार कहां टिकती है. इन सब प्रश्नों का जवाब आज इकोनॉमिक सर्वे देगा.

मोदी सरकार के रिफॉर्म्स का असर इकोनॉमिक सर्वे में दिख सकता है मोदी सरकार के रिफॉर्म्स का असर इकोनॉमिक सर्वे में दिख सकता है
विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 11:24 AM IST

नोटबंदी के करीब 15 महीनों बाद सोमवार को आर्थ‍िक सर्वेक्षण पेश होगा. पिछले साल अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार ने कैसा प्रदर्शन किया. पिछले साल के बजट आवंटन का कितना सही इस्तेमाल हुआ और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार कहां टिकती है. इन सब प्रश्नों का जवाब आज इकोनॉमिक सर्वे देगा. सोमवार को पेश होने वाले इस इकोनॉमिक सर्वे में कृष‍ि समेत 5 अहम फैक्टर पर बात हो सकती है.

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कृष‍ि

पिछले कुछ वक्त से कृष‍ि की स्थ‍िति को लेकर चिंता जताई जा रही है. खराब मानसून, कम न्यूनतम समर्थन मूल्य और कम आमदनी की वजह से किसानों का बुरा हाल है. कृष‍ि आयात-निर्यात के आंकड़ों में भी काफी ज्यादा बदलाव आया है. ऐसे में उम्मीद है कि इस बार के सर्वे में कृष‍ि पर सबसे ज्यादा फोकस रह सकता है.

नोटबंदी

भले ही इकोनॉमिक सर्वे नोटबंदी के 15 महीनों बाद पेश हो रहा है, लेक‍िन इस सर्वे में नोटबंदी के असर का लेखाजोखा भी पेश किया जा सकता है. सर्वे से नोटबंदी का अलग-अलग इंडसट्रीज पर पिछले साल कैसा और कितना असर रहा, इसकी जानकारी मिल  सकती है.

जीएसटी

पिछले साल आर्थ‍िक मोर्चे पर मोदी सरकार ने सबसे बड़ा कदम एक राष्ट्र एक टैक्स नीति जीएसटी को लागू कर उठाया.  जीएसटी की वजह से छोटे कारोबारियों के कारोबार पर काफी असर पड़ा है. कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी जीएसटी को अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी करने वाला करार दिया. ऐसे में ये तय है क‍ि इकोनॉमिक सर्वे में भी जीएसटी और इसके असर पर बात होगी.

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सुस्त अर्थव्यवस्था

सेंट्रल स्टैट‍िस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) की तरफ से जारी किए गए जीडीपी के अनुमान के आंकड़े वित्त वर्ष 2017-18 में पिछले साल के अनुमान के मुताबिक कम है. सीएसओ के अनुमान के मुताबिक इस वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार 6.5 फीसदी रह सकती है. पिछले साल सीएसओ ने 7.1 फीसदी का अनुमान लगाया था. ऐसे में सुस्त होती अर्थव्यवस्था की रफ्तार को लेकर भी सर्वे में बात होगी.

कैशलेस इकोनॉमी

पिछले साल सरकार का सबसे ज्यादा फोकस लेस कैशलेस इकोनॉमी की तरफ बढ़ने पर रहा. इसमें सरकार कितना कामयाब हुई है, इसका जवाब इकोनॉमिक सर्वे में मिल सकता है.

क्या है इकोनॉमिक सर्वे

आर्थ‍िक सर्वेक्षण अथवा इकोनॉमिक सर्वे पिछले साल बांटे गए खर्चों का लेखाजोखा तैयार करता है. इससे पता चलता है कि सरकार ने पिछले साल कहां-कहां कितना खर्च किया और बजट में की गई घोषणाओं को कितनी सफलतापूर्वक निभाया. इसके साथ ही सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि पिछले साल अर्थव्यवस्था की स्थिति कैसी रही.

सर्वेक्षण के जरिये इकोनॉमी को लेकर कई सुझाव भी सरकार को दिए जाते हैं. इस बार सर्वेक्षण में सुझाव कृष‍ि पर फोकस रहने की संभावना जताई जा रही है.

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