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आम बजट 2025: डिफेंस सेक्टर को अपार उम्मीदें, एक्सपर्ट्स ने बताया क्या-क्या कर सकती है सरकार

बजट 2025 से भारत के रक्षा उद्योग को स्वदेशी निर्माण, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में बड़ी उम्मीदें हैं. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार आत्मनिर्भर भारत और आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने पर ध्यान देगी.

बजट 2025 में ऑपरेशनल रेडीनेस पर ध्यान दिया जा सकता है. बजट 2025 में ऑपरेशनल रेडीनेस पर ध्यान दिया जा सकता है.
शिवानी शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 2:17 PM IST

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पेश किए गए बजट में सरकार ने रक्षा क्षेत्र के लिए ₹6,21,940.85 करोड़ (लगभग $75 बिलियन) का आवंटन किया था. यह किसी भी मंत्रालय को मिलने वाला सबसे बड़ा बजट था. पिछले साल के मुकाबले यह 4.79% ज्यादा था. अब जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को नया बजट पेश करने वाली हैं, तो भारत के रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उद्योग, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप और प्राइवेट सेक्टर के लिए ज्यादा मौके मिलने की उम्मीदें बढ़ रही हैं. आजतक ने इस बारे में रक्षा क्षेत्र के कुछ विशेषज्ञों से बातचीत कर यह जानने की कोशिश की कि इसबरा यह सेक्टर बजट से क्या-क्या उम्मीदें लगाए बैठा है.  

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रिशभ गुप्ता, मैनेजिंग डायरेक्टर, Rossell Techsys 

Rossell Techsys के मैनेजिंग डायरेक्टर रिशभ गुप्ता, जो एयरोस्पेस और रक्षा से जुड़ी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करते हैं, अपने बजट से जुड़ी उम्मीदें साझा करते हुए कहते हैं, 'बजट 2024 में सरकार ने ₹6.21 लाख करोड़ का रक्षा बजट दिया था, जो कुल बजट का 13.04% था. यह दिखाता है कि देश अपनी रक्षा क्षमताओं को आधुनिक बनाने के लिए कितनी गंभीरता से काम कर रहा है. पिछले बजट ने इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट को काफी बढ़ावा दिया. इस बार हम उम्मीद करते हैं कि सरकार लंबी अवधि की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर पर ज्यादा ध्यान देगी.'  

उन्होंने आगे कहा, 'स्पेस सेक्टर के लिए ₹13,043 करोड़ का आवंटन और स्पेस-टेक स्टार्टअप्स के लिए ₹1,000 करोड़ का वेंचर कैपिटल फंड, सरकार के ग्लोबल स्पेस इकॉनमी में भारत की भागीदारी बढ़ाने के इरादे को दिखाता है. इस बार हमें उम्मीद है कि बजट 2025 स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग को और सपोर्ट करेगा, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को मजबूत बनाएगा और प्राइवेट सेक्टर को पूरी क्षमता से काम करने का मौका देगा. सही पॉलिसी फ्रेमवर्क के साथ भारत एयरोस्पेस इनोवेशन और आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण में ग्लोबल लीडर बन सकता है.'

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किरण राजू, सीईओ एंड को-फाउंडर,  Indrajaal 

दुनिया की पहली AI-पावर्ड एंटी-ड्रोन सिस्टम बना चुके किरण राजू, जो  Indrajaal के सीईओ और को-फाउंडर हैं, को बजट 2025 से बहुत उम्मीदें  हैं. उनका मानना है कि सरकार का ध्यान रक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने पर रहेगा. खास बात ये है कि ये सब आत्मनिर्भर भारत के विजन के साथ होगा.  

उन्होंने कहा, 'हमारी सेना का आधुनिकीकरण, सीमा और तटीय सुरक्षा को मजबूत करना और भविष्य की जरूरतों के हिसाब से फैसले लेना इस बार के बजट में अहम होगा. ड्रोन इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने पर फोकस करना भी जरूरी है. कई राज्यों ने पहले ही ड्रोन पॉलिसी लागू कर दी है, जो इनोवेशन को बढ़ावा देगी. लेकिन बड़ी मात्रा में ड्रोन को सपोर्ट करने वाला इंफ्रास्ट्रक्चर अब भी कम है. सरकार को इस दिशा में काम करने की जरूरत है. स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देते हुए यह बजट भारत को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है.'  
 
विवेक मर्चेंट, डायरेक्टर, Swan Shipyard 

Swan Shipyard के डायरेक्टर विवेक मर्चेंट ने कहा, 'भारत सरकार का शिपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने और स्वदेशी शिपबिल्डिंग को प्रमोट करने पर जोर इस सेक्टर में बड़ा बदलाव लाया है. लेकिन भारत का वैश्विक बाजार में शिपबिल्डिंग का हिस्सा सिर्फ 0.05% है, जबकि चीन 47%, दक्षिण कोरिया 30% और जापान 17% हिस्सेदारी रखते हैं.'  

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उन्होंने आगे कहा, 'नए सरकारी कदम और शिपयार्ड्स व पोर्ट्स के लिए बेहतर बजटीय आवंटन गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. Maritime Development Fund और Shipbuilding Subsidy Policy 2.0 जैसे कदम इस सेक्टर को आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी बना सकते हैं.'  

उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया के समुद्री उद्योग में स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) की ओर झुकाव बढ़ रहा है. हमारा शिपयार्ड हाइब्रिड प्रोपल्शन सिस्टम वाले इको-फ्रेंडली जहाजों पर काम कर रहा है. ग्रीन टेक्नोलॉजी को अपनाने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता अगले दशक की वृद्धि को परिभाषित करेगी.'  

रक्षा तैयारियों पर फोकस  

विशेषज्ञों का कहना है कि रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा नई तकनीक के विमानों, जहाजों और वाहनों की खरीदारी में जाएगा. इससे भारत की सेना को बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकेगा. इसके अलावा बजट में ऑपरेशनल रेडीनेस पर भी ध्यान दिया जाएगा. इसके लिए ट्रेनिंग और अभ्यास जैसे जरूरी उपायों पर खर्च होगा ताकि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हमारी सेना पूरी तरह तैयार रहे.

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