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बजटः स्वास्थ्य मंत्रालय के खर्च में कटौती, कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ दिए

केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के बावजूद वित्त वर्ष 2021-22 के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के खर्च में कटौती की है. इस बजट में स्वास्थ्य मंत्रालय को 73,931.77 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में आवंटित व्यय (82,928.30 करोड़ रुपये) की तुलना में 10.8 प्रतिशत कम है.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 1:00 AM IST
  • केंद्रीय स्वाथ्य मंत्रालय के खर्च में कटौती
  • कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़
  • प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना

केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के बावजूद वित्त वर्ष 2021-22 के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के खर्च में कटौती की है. इस बजट में स्वास्थ्य मंत्रालय को 73,931.77 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में आवंटित व्यय (82,928.30 करोड़ रुपये) की तुलना में 10.8 प्रतिशत कम है.

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स्वास्थ्य मंत्रालय के खर्च में कटौती के बावजूद कोरोना टीकाकरण, मेडिकल और पब्लिक हेल्थ के लिए इस बजट में आवंटन चौथा सबसे बड़ा आवंटन है. केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं. 

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली बार 'स्वास्थ्य और कल्याण' कार्यक्रम के तहत पानी, स्वच्छता, पीने का पानी, पोषण और वित्त आयोग के अनुदान एक ही में क्लब कर दिया है. सरकार ने इस आशय के लिए 2.23 लाख करोड़ रुपये का खर्च का लक्ष्य रखा है. इस सेगमेंट में सबसे अधिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के लिए 71,269 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं. इसके बाद पेयजल और स्वच्छता विभाग के लिए 60,030 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने का प्रस्ताव है. इसके बाद वित्त आयोग अनुदान के तहत 49,214 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है. 

 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 64,180 करोड़ रुपये के बजट के साथ प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का ऐलान किया है. इस योजना का मकसद हेल्थकेयर सिस्टम विकसित करना, मौजूदा राष्ट्रीय संस्थानों को मजबूत बनाना, और नई बीमारियों के इलाज के लिए नए संस्थान स्थापित करना है.

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नए इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली क्रिटिकल स्थिति में है. इसमें कहा गया है कि भारत में अधिकतर मौतें चिकित्सा व्यवस्था की कमी के बजाय खराब स्वास्थ्य सेवा गुणवत्ता के कारण होती हैं. इनमें सुधार किए जाने की आवश्यकता है. सरकारी बजट में स्वास्थ्य को दी गई प्राथमिकता के लिहाज से देखा जाए तो 189 देशों में से भारत 179वें पायदान पर है. 

(इनपुटः सम्राट शर्मा)

 

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