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Budget 2019: बजट का वो ऐलान जिसके बाद मोदी-मोदी के नारों से गूंज उठा सदन

आम आदमी के जीवन को सीधे तौर पर यही टैक्स स्लैब असर डालता है. नौकरीपेशा वर्ग हो या फिर कामकाजी लोग हर किसी को अपनी आय पर टैक्स देना पड़ता है लेकिन चुनावी साल में सरकार ने बड़ी राहत देते हुए 5 लाख तक की व्यक्तिगत आय वालों को इनकम टैक्स से मुक्त कर दिया है.

Interim Budget 2019: Loksabha (Photo: LSTV) Interim Budget 2019: Loksabha (Photo: LSTV)
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 1:29 PM IST

मोदी सरकार में कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष ने जैसे ही बहुप्रतिक्षित टैक्स स्लैब में बदलाव का ऐलान किया जिसके बाद पूरा सदन मोदी-मोदी के नारों से गूंज उठा. पीयूष गोयल ने अपने बजट भाषण में बताया कि 5 लाख रुपये तक की आय पर किसी तरह का आयकर नहीं लगेगा, यह सीमा पहले 2.5 लाख रुपये तक की थी. वित्त मंत्री के इसी ऐलान के बाद एनडीए के सभी सांसदों ने जोर-जोर से मेज थपथपाना शुरू कर दिया और काफी देर तक सदन में इसका शोर गूंजता रहा.

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आम आदमी के जीवन को सीधे तौर पर यही टैक्स स्लैब असर डालता है. नौकरीपेशा वर्ग हो या फिर कामकाजी लोग हर किसी को अपनी आय पर टैक्स देना पड़ता है लेकिन चुनावी साल में सरकार ने बड़ी राहत देते हुए 5 लाख तक की व्यक्तिगत आय वालों को इनकम टैक्स से मुक्त कर दिया है. मतलब साफ है जिसकी सालाना आय 5 लाख से कम है उसे कोई भी टैक्स देना नहीं पड़ेगा. देश का बड़ा नौकरीपेशा वर्ग इस सीमा के अंदर आ जाएगा.

बजट भाषण में वित्त मंत्री की ओर से टैक्स सीमा का दायरा बढ़ाने का यह ऐलान सबसे बड़ी घोषणाओं में से एक है. इसी ऐलान के बाद सभी एनडीए सांसदों ने मोदी सरकार की जमकर सराहना की और सदन में काफी देर तक मोदी-मोदी के नारे लगाए.

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बता दें कि इससे पहले पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने यूपीए सरकार के दौरान साल 2012 में इनकम टैक्स छूट की सीमा को 1.8 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया था. इसके बाद 2014 में टैक्स छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की गई थी. इनकम टैक्स लिमिट और सेक्शन 80 से के तहत छूट को 2014 में बढ़ाया गया था, पिछले 5 साल से इसमें बढ़ोतरी नहीं हुई थी.

आर्थिक रूप से पिछले सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण के बाद अब आयकर छूट की सीमा में बड़ा इजाफा कर लोकसभा चुनाव 2019 से पहले मोदी सरकार ने आम आदमी को लुभाने के लिए बड़ा दांव चल दिया है. चुनावी साल में आने वाले वक्त में सरकार को इसका फायदा मिल सकता है.

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