
केंद्रीय बजट 2018 से मिडिल क्लास यानी मध्य वर्ग को निराशा ही हाथ लगी है. जब वित्त मंत्री ने गुरुवार को एक लाइन में कहा कि इनकम टैक्स छूट सीमा में कोई बढ़त नहीं की जा रही है, तो कितने लोगों का दिल बैठ गया. बजट देख रहे तमाम लोग टीवी, सोशल मीडिया से तत्काल गायब हो गए. लैपटॉप फेंक रहा एक बंदर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसे बजट से निराश मिडिल क्लास बताया गया.
इस बार तो यह कहा जा रहा है कि चुनावी बजट की वजह से सरकार ने मिडिल क्लास को उपेक्षित करके ग्रामीण विकास पर फोकस किया है, लेकिन सच तो यह है कि पिछले पांच साल में मिडिल क्लास इस सरकार के फोकस में कभी रहा ही नहीं.
बजट 2018 की बात करें तो एक तरफ इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया, तो दूसरी तरफ सेस बढ़ा दिया गया. निजी और सरकारी क्षेत्र में नौकरियों के घटने का सबसे ज्यादा असर मिडल क्लास पर ही होता है. इसके अलावा शेयरों में निवेश पर लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स, म्यूचुअल फंड के फायदे पर टैक्स जैसे मिडिल क्लास को चोट पहुंचाने वाले कदम उठाए गए हैं. फसलों की एमएसपी में बढ़त और आगे कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे की आशंका से महंगाई बढ़ेगी और इसका असर भी मध्य वर्ग पर होगा.
तो क्या अपना ख्याल खुद रखेगा मिडिल क्लास!
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015-16 का बजट पेश करने के बाद टीवी चैनल डीडी न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा था कि सरकार फिलहाल मध्य वर्ग को ज्यादा राहतें देने के पक्ष में नहीं है. अरुण जेटली ने साफ कहा था, 'मिडिल क्लास अपना ख्याल खुद रखे. हमें पांच साल में अर्थव्यवस्था खड़ी करनी है. मिडिल क्लास को बचत करनी होगी.' उनके इस बयान के बाद उनकी काफी आलोचना भी हुई थी.
एक अनुमान के अनुसार पिछले 15 वर्षों में भारत का मिडिल क्लास 60 करोड़ से ज्यादा हो गया है, यानी देश की करीब आधी आबादी. इसके बावजूद अगर बीजेपी इस वर्ग की अपेक्षा कर रही है तो इसकी वजह है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगले आम चुनाव को देखते हुए सरकार मिडिल क्लास को उपेक्षित करने का जोखिम ले रही है और ग्रामीण विकास पर फोकस कर रही है. बीजेपी यह मानकर चल रही है कि मिडिल क्लास उसका परंपरागत वोटर है और वह उससे दूर नहीं जाएगा. ऐसा मान लिया गया है कि मिडिल क्लास के पास पीएम मोदी के अलावा और कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि यह वर्ग पीएम मोदी को बहुत पसंद करता है.
पांच साल में सिर्फ 50 हजार तक बढ़ी छूट सीमा
महत्वपूर्ण बात यह है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2014 में खुद आयकर छूट 5 लाख सालाना आय तक करने की मांग की थी. लेकिन, सत्ता में आने के बाद वह खुद भी अभी तक इस मांग को पूरा नहीं कर पाए हैं. उनके पिछले पांच बजटों पर नजर डालें तो वह आयकर छूट सीमा को बस 2 लाख से 2.5 लाख रुपये तक ले जा सके हैं. सरकार के पहले बजट में वित्त मंत्री ने आयकर छूट सीमा को 2 लाख रुपये से 2.5 रुपये तक की सालाना आय तक किया था. इसके बाद से उन्होंने इस स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है.