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Budget 2023: पांच लाख के बजाय 7 लाख तक की कमाई टैक्स फ्री, राहत या फिर बाजीगरी?

New Tax Regime: सरकार ने बजट 2023 में देश के टैक्सपेयर्स को तोहफा देते हुए नए टैक्स स्लैब के तहत 7 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री करने का तोहफा दिया है. वहीं ओल्ड टैक्स स्लैब को जस का तस रखा गया है. लेकिन यहां ये समझना जरूरी है कि नई व्यवस्था पुराने से कैसे बेहतर है?

नया टैक्स स्लैब कितना बेहतर? नया टैक्स स्लैब कितना बेहतर?
दीपक चतुर्वेदी
  • नई दिल्ली,
  • 02 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:34 PM IST

नया इनकम टैक्स स्लैब (New Tax Regime) इस समय सबसे ज्यादा चर्चा वाला शब्द बना हुआ है. आखिर हो भी क्यों न सरकार ने 8 साल बाद टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को बड़ा तोहफा देते हुए आयकर में छूट का ऐलान जो किया है. फाइनेंशियल ईयर 2023-24 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 5 लाख रुपये के बजाय अब 7 लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स फ्री करने की घोषणा की है. आइए इसे विस्तार से समझते हैं कि ये टैक्सपेयर्स के लिए राहत है या फिर कोई बाजीगरी.

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सरकार ने दिया टैक्सपेयर्स को तोहफा
हर साल एक फरवरी को पेश होने वाले देश के आम बजट (Union Budget) में सबसे ज्यादा मांग टैक्स में छूट (Tax Benefits) की रहती है. इस बार भी बजट पेश होने से पहले ये मांग जोर पकड़ रही थी और इसकी आवाज सरकार के कानों तक पहुंची, जिसके बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Govt) ने बड़ा फैसला ले लिया. इसके तहत 7 लाख रुपये की कमाई को टैक्स फ्री कर दिया गया है. हालांकि, अब ये समझना बेहद जरूरी है कि सरकार की ओर से टैक्सपेयर्स को दिया गया ये बड़ा तोहफा उनके कितने काम का है. 

लिमिट से एक रुपये भी आय बढ़ने पर टैक्स
सरकार के ऐलान के बाद अब अगर आपकी एनुअल इनकम 7 लाख रुपये है, तो फिर आपको रिबेट के साथ कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी. वहीं New Income Tax Slab के मुताबिक, अगर आपकी कमाई का आंकड़ा इस लिमिट के जरा सा भी ऊपर निकला. या कहें 7 लाख से एक रुपये भी ज्यादा कमाया तो फिर आपके ऊपर टैक्स की मार पड़ेगी. ये एक रुपये की अतिरिक्त कमाई आपको 25 हजार रुपये का चूना लगाने वाली साबित हो सकती है. 

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ये है New Tax Slab 

  • 0 से 3 लाख रुपए- 0% टैक्स
  • 3 से 6 लाख रुपए तक- 5% टैक्स
  • 6 से 9 लाख रुपए तक- 10% टैक्स
  • 9 से 12 लाख रुपए तक- 15% टैक्स
  • 12 से 15 लाख रुपए तक- 20% टैक्स
  • 15 लाख से ऊपर की इनकम पर 30% टैक्स

9 से 15 लाख रुपये पर टैक्स का गणित
इसी तरह अगर आप 9 लाख रुपये सालाना की कमाई करते हैं, तो फिर आपको टैक्स के तौर पर 45,000 रुपये भरने होंगे. दरअसल, इनमें से 3 लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. वहीं इसके बाद 3,00,000 पर 5% की दर से 15,000 और अगले 3 लाख रुपये पर 10 फीसदी की दर से 30,000 रुपये टैक्स के तौर पर भरना होगा. इस तरह आपको New Tax Regime के तहत 45 हजार रुपये का टैक्स बनेगा. 

नए Tax Slab के तहत अगर सालाना 15 लाख रुपये तक की आय का कैलकुलेशन करें तो फिर ओल्ड टैक्स रिजीम के मुताबिक, कुल टैक्स देनदारी 1.87 लाख रुपये बनती है. वहीं नए टैक्स स्लैब के आधार पर ये 1.50 लाख रुपये होती है. इसमें पहले तीन लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं, जबकि 3 से 6 लाख रुपये तक 5% के हिसाब से 15,000 रुपये...6 से 9 लाख रुपये पर 10% की दर से 30,000 रुपये, 9 से 12 लाख रुपये पर 15% की दर से 45,000 रुपये और 12 से 15 लाख रुपए तक 20% के हिसाब से 60,000 रुपये टैक्स बनता है. यानी 15 लाख की सालाना आय पर कुल टैक्स देनदारी 1.50 लाख रुपये होगी. 

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लुभावना लगता है नया टैक्स स्लैब
सरकार ने ओल्ड टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया है. वहीं नए टैक्स रिजीम के मुताबिक, कैलकुलेशन करने पर जो आंकड़ा सामने आता है वो देखने में तो लुभावना लगाता है. जैसे पुराने टैक्स रिजीन के आधार पर 10 लाख रुपये से ऊपर की आमदनी पर सीधे 30 फीसदी टैक्स का लगता है और नए रिजीम में 12 से 15 लाख रुपये तक की आय 20 फीसदी टैक्स स्लैब के दायरे में आएगी.

इसका एक दूसरा पहलू भी है जिसपर गौर करना भी बेहद जरूरी है. दरअसल, अगर आप ओल्ड टैक्स रिजीम को चुनते हैं तो फिर 50,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन और 80C के तहत मिलने वाले 1.5 लाख रुपये के डिडक्शन का लाभ ले पाएंगे. जबकि नए रिजीम आप ये लाभ नहीं ले पाएंगे. नई टैक्स व्यवस्था में इसे खत्म कर दिया गया है.

सैलरीड क्लास को किस पर भरोसा? 
अब बात करते हैं कि सैलरीड क्लास की, जिन्हें बजट में टैक्स राहत का सबसे ज्यादा इंतजार था. देश में ज्यादातर टैक्सपेयर्स ऐसे हैं जो घर के किराए, होम लोन, पीएफ में पैसा खर्च करते हैं. अपने और अपने परिवार के लिए लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं. इसमें टैक्स बचाने की जुगाड़ भी शामिल होती है. ऐसे में New Tax Regime में सैलरीड पर्सन को स्टैंडर्ड डिडक्शन, HRA और LTA जैसी टैक्स छूट से वंचित रहना पड़ेगा.

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वहीं 80 सी के तहत EPF, LIP, PPF, ELSS, Home Loan Repayment समेत अन्य खर्चों में मिलने वाली टैक्स छूट भी नहीं मिलती. कुल मिलाकर देखें तो उन्हें ओल्ट टैक्स स्लैब के मुकाबले ज्यादा टैक्स देना पड़ जाता है. कैलकुलेशन के हिसाब से देखें तो उन्हें पुरानी व्यवस्था में ज्यादा फायदा होता है.

 

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