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मोदी सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए आम बजट पेश कर दिया है. इसके हिसाब से सरकार की आमदनी कम है, जबकि खर्च अधिक और अगले वित्त वर्ष में इन खर्चों को पूरा करने के लिए सरकार को बाजार से कई लाख करोड़ रुपये का कर्ज उठाना होगा.
कोरोना काल ने बढ़ाया खर्च
बजट दस्तावेज के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में खर्चों को पूरा करने के लिए सरकार बाजार से 11.6 लाख करोड़ रुपये का कर्ज उठाएगी. कोरोना काल में अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा है और इसे संबल प्रदान करने के लिए सरकार का खर्च भी बढ़ा है. ऐसे में अगले साल के खर्च के लिए सरकार को बाजार से ये कर्ज लेना होगा.
चालू वित्त वर्ष के अनुमान से ज्यादा
चालू वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने बाजार से 9.7 लाख करोड़ रुपये के कर्ज जुटाने का अनुमान लगाया था. हालांकि बजट 2022 के दस्तावेजों के हिसाब से वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इसका संशोधित अनुमान अब 8.75 लाख करोड़ रुपये रहा गया है.
हालांकि सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए जितनी उधारी जुटाने का अनुमान रखा है, वो चालू वित्त वर्ष के लिए रखे गए बजट अनुमान से भी 2 लाख करोड़ रुपये अधिक है. सरकार को वित्त वर्ष 2022-23 में खर्च पूरा करने के लिए 11,58,719 करोड़ रुपये की उधारी उठानी होगी.
बजट दस्तावेज के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में सरकार का सकल कर्ज भी 14.95 लाख करोड़ रुपये रहने वाला है. जबकि पिछले साल के बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए ये अनुमान 12.05 लाख करोड़ रुपये रखा गया था. वहीं 2021-22 के लिए इसका संशोधित अनुमान 10.46 लाख करोड़ रुपये है.
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