
पिछले बजट में केंद्र सरकार की ओर से कुछ बड़े ऐलान किए गए थे, जिसमें से एक स्टैडर्ड डिडक्शन की लिमिट में बढ़ोतरी भी शामिल थी. नए टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 75000 रुपये तक कर दिया गया था. वहीं इस बार महंगाई RBI के तय दायरे से बाहर चली गई है. जबकि अर्थव्यवस्था की ग्रोथ में भी गिरावट का अनुमान है. ऐसे में बजट में केंद्र सरकार आम लोगों को टैक्स में राहत दे सकती है.
स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफा
सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट में एक बार फिर बदलाव कर सकती है. पिछली बार न्यू टैक्स व्यवस्था के तहत इसमें इजाफा किया गया था. वहीं इस बार ओल्ड टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट में इजाफा किया जा सकता है. अभी सैलरीड एम्प्लॉई और पेंशनर्स पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत ₹50,000 और नई व्यवस्था के तहत ₹75,000 की मानक कटौती का लाभ उठाते हैं. एक्स्पर्ट्स का कहना है कि इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया जा सकता है.
टैक्स स्लैब में हो सकता है बदलाव
सरकार नई टैक्स व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब में और बदलाव करने पर विचार कर सकती है ताकि अधिक टैक्सपेयर्स को इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. खासतौर पर ऐसी अटकलें हैं कि 30% टैक्स रेट ₹20 लाख से अधिक इनकम लेवल पर लागू की जा सकती है.
न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब
₹0-₹3 लाख: शून्य
₹3-₹7 लाख: 5%
₹7-₹10 लाख: 10%
₹10-₹12 लाख: 15%
₹12-₹15 लाख: 20%
₹15 लाख से अधिक: 30%
सेक्शन 80C की कटौती सीमा बढ़ाना
चर्चा यह भी है कि इस बार सेंक्शन 80सी के तहत कटौती की लिमिट भी बढ़ाई जा सकती है. मौजूदा समय में सेक्शन 80सी के तहत कटौती की अधिकतम सीमा ₹1.5 लाख है. हालांकि महंगाई और टैक्सपेयर्स पर बढ़ते वित्तीय दबाव के कारण एक्सपर्ट सरकार से इस लिमिट को और बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. इसे बढ़ाकर कम से कम 2 लाख रुपये सालाना किया जा सकता है.
बढ़ सकता है गोल्ड पर एक्सपोर्ट ड्यूटी?
भारत के व्यापार घाटे को लेकर चिंता के कारण सरकार बजट 2025 में सोने पर आयात शुल्क बढ़ा सकती है. वर्तमान में, भारत सोने पर 6% आयात कर लगाता है, जो पिछले 15% से कम है. इस शुल्क में वृद्धि से अत्यधिक सोने के आयात पर अंकुश लग सकता है और संभावित रूप से देश के व्यापार असंतुलन को कम किया जा सकता है, लेकिन इससे सोने की घरेलू कीमतें भी बढ़ सकती हैं, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुझानों से अलग हो सकती हैं.