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जनादेश के साथ धोखा है यह बजट, मोदी सरकार ने गंवा दिया मौका: ज्योतिरादित्य सिंधिया

कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश बजट को जनादेश के साथ धोखा बताया है. उन्होंने कहा कि लोगों की समस्याओं को दूर करने का मोदी सरकार के पास एक मौका था, जिसे उन्होंने गंवा दिया है.

कांग्रेस नेता ने माेदी सरकार के बजट को जनादेश के साथ धोखा बताया  (फोटो: पीटीआई) कांग्रेस नेता ने माेदी सरकार के बजट को जनादेश के साथ धोखा बताया (फोटो: पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST

कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को पेश बजट को जनादेश के साथ धोखा बताया है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के संकट को दूर करने और किसानों, बेरोजगारों को  राहत देने का मोदी सरकार के पास एक मौका था, जिसे उन्होंने गंवा दिया है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स में लिखे एक आलेख में कहा है, 'आर्थिक मामलों पर नजर डालने से खुलासा होता है कि नरेंद्र मोदी सरकार के बहीखाते में नुकसान ज्यादा फायदा कम दिख रहा है. नोटबंदी के बाद वाले साल में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी रही जो 45 साल में सबसे ज्यादा है. हर दिन 35 किसान आत्महत्या कर रहे हैं. साल 2018-19 में कृषि क्षेत्र में सिर्फ 2.9 फीसदी की बढ़त हुई है. जिस पेशे पर देश की 65 फीसदी जनसंख्या की जीविका निर्भर है उसकी हालत खराब है.'

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उन्होंने कहा कि देश की जीडीपी 2018-19 की अंतिम तिमाही में घटकर 5.8 फीसदी रह गई है और नए निवेश की रफ्तार 15 साल के निचले स्तर पर है. निजी क्षेत्र के परियोजनाओं के ठप रहने की दर 26 फीसदी हो गई है जिसका मतलब यह है कि निजी क्षेत्र निवेश में रुचि नहीं दिखा रहा.

उन्होंने कहा कि जबरदस्त जनमत से आई मोदी सरकार के पहले बजट से लोगों को इन हालात में भारी बदलाव की उम्मीद थी. लेकिन बजट से बस नए सपने दिखा दिए गए हैं. वित्त मंत्री ने अपने भाषण में 'आशा, आकांक्षा और विश्वास' की बात की है, लेकिन उनके द्वारा पेश बजट न तो लोगों में कोई आकांक्षा जताता और न ही सरकार में लोगों का भरोसा बढ़ाने वाला है. लोग तो आर्थ‍िक सुस्ती, कृषि संकट, बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान चाहते थे, लेकिन उनकी आंखों में सिर्फ धूल झोंका गया है.

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उन्होंने कहा, 'सरकार हर समस्या से बस इनकार करने के ही मूड में रहती है. इसलिए अचरज की बात नहीं कि बेरोजगारी के आंकड़े इकोनॉमिक सर्वे में स्वीकार किए जाने के बावजूद बेरोजगारी और नौकरियों के सृजन के मामले में बजट पूरी तरह से खामोश है. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत हर साल 1 करोड़ युवाओं को कुशल बनाए जाने की बात थी, लेकिन साल 2016 से अब तक इस योजना के तहत कुल 33.93 लोग ही स्किल्ड हो पाए हैं और इनमें से सिर्फ 10 लाख लोगों को नौकरी मिली है.'

गरीब विरोधी नीतियां !

सिंधिया ने कहा कि यह सरकार गरीब विरोधी नीतियां बनाने में माहिर है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में नरमी का फायदा आम लोगों को देने की जगह बजट में पेट्रोल और डीजल पर टैक्स-सेस 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया गया है. उन्होंने कहा कि उज्ज्वला योजना और स्वच्छ भारत अभियान जैसी बड़ी योजनाओं को भाषण का हिस्सा बनाने की जगह दस्तावेज में दे दिया गया, जो कि परंपरा से बिल्कुल उलट है.

बजट में बाजीगरी!  

सिंधिया ने कहा, 'सरकार ने पेयजल एवं स्वच्छता और जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्रालय को मिलाकर जलशक्त‍ि मंत्रालय बनाया है. बजट में नए मंत्रालय के लिए सिर्फ 2,955 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो कि पिछले साल इन दोनों मंत्रालयों को मिलाकर किए गए आवंटन से काफी कम है. ऐसे समय में यह हुआ है, जबकि देश का कई हिस्सा सूखे और गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है.'  

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5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी से क्या हो जाएगा?

सिंधिया ने कहा कि जोर-शोर से जिस 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की बात की जा रही है, उसमें ऐसा क्या खास है? पिछले पांच साल में ही अर्थव्यवस्था 1.8 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, लेकिन देश के जीडीपी में 16 फीसदी का योगदान करने वाले किसान आत्महत्या कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि बजट एक मौका था कि सरकार ब‍हुप्रतीक्ष‍ित सुधारों को आगे बढ़ाती, लेकिन अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकालने की कोई कोशिश करती नहीं दिख रही और दो अंकों की ग्रोथ दर हासिल करने की महत्वाकांक्षा को भी लग रहा है कि भूल चुकी है. इस तरह सरकार ने अपने ही जनादेश को धोखा दिया है और एक बड़ा अवसर गंवा दिया है.

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