पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स से सरकार की जबरदस्त कमाई हो रही है. इस वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई 2021 के चार महीनों के दौरान ही पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले केंद्रीय उत्पाद कर के संग्रह (Centre's excise collection) में 48 फीसदी की जबरदस्त बढ़त हुई है और यह 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है. (फाइल फोटो)
वित्त मंत्रालय के कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट्स (CGA) के आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है. गौरतलब है कि साल 2016 में वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था शुरू होने के बाद एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF), पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस पर केंद्र सरकार एक्साइस ड्यूटी या केंद्रीय उत्पाद शुल्क वसूलती है. इनके अलावा बाकी सभी उत्पादों पर जीएसटी वसूला जाता है. (फाइल फोटो)
मौजूदा वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में इस वसूली में 48 फीसदी की शानदार बढ़त हुई है. सरकार ने पिछले साल पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर 19.98 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 32.9 रुपये कर दिया है. इसी तरह डीजल पर अब केंद्र सरकार 31.80 रुपये प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क लेती है. (फाइल फोटो)
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस बार जो अतिरिक्त टैक्स कलेक्शन हुआ है, वह सरकार द्वारा इस वित्त वर्ष में ऑयल बॉन्ड की कुल देनदारी का करीब तीन गुना है. सीजीए के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से जुलाई 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क का संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा (1,00,387 करोड़) हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान संग्रह सिर्फ 67,895 करोड़ रुपये का हुआ था. (फाइल फोटो)
इस तरह आंकड़ों के मुताबिक इस वित्त वर्ष के चार महीनों में सरकार को 32,492 करोड़ रुपये का अतिरिक्त टैक्स हासिल हुआ है, जबकि पूरे साल में सरकार को ऑयल बॉन्ड पर कुल 10,000 करोड़ रुपये चुकाने हैं. गौरतलब है कि यूपीए सरकार ने कुल 1.34 लाख करोड़ रुपये के ऑयल बॉन्ड जारी किए थे जिसका अगले 15 से 20 साल में भुगतान किया जाना था. (फाइल फोटो)
ऑयल बॉन्ड एक तरह से स्पेशल सिक्योरिटीज होती हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से तेल मार्केटिंग कंपनियों को कैश सब्सिडी के एवज में दिया जाता है, ताकि महंगे तेल का बोझ जनता पर न पड़े. ऑयल बॉन्ड अमूमन लंबी अवधि जैसे 15-20 साल की मैच्योरिटी वाले होते हैं. तेल कंपनियों को इन बॉन्ड पर ब्याज भी चुकाया जाता है. (फाइल फोटो)