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1 अक्टूबर से हेल्थ इंश्योरेंस के नियमों में बदलाव, बीमाधारकों के लिए कई अच्छी बात!

aajtak.in
  • 29 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:26 PM IST
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पहली अक्टूबर से हेल्थ इंश्योरेंस में बड़े बदलाव होने जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि इस बदलाव से बीमाधारकों को लाभ होगा. जबकि बीमा कंपनियों की मनमानी पर लगाम लग सकेगी. नए नियम के लागू हो जाने के बाद बीमा कंपनियां बहाना बनाकर क्लेम को रिजेक्ट नहीं कर पाएंगी.

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आईआरडीए के नियम के मुताबिक अगर बीमाधारक ने लगातार 8 साल तक अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम भरा है तो फिर कंपनी किसी भी कमी के आधार पर क्लेम रिजेक्ट नहीं कर पाएगी. इसके अलावा पॉलिसी के दायरे में ज्यादा बीमारियां आएंगी. हालांकि अधिक बीमारियों के कवर होने की वजह से प्रीमियम महंगा हो सकता है.

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खबर है कि अब सभी बीमा कंपनियों में कवर के बाहर वाली स्थाई बीमारियां समान होंगी. पहली अक्टूबर के बाद कवर के बाहर रहने वाली स्थाई बीमारियों की संख्या घटकर 17 रह जाएगी. इसके अलावा लोगों के पास कंपनी की सीमा खत्म होने के बाद दूसरी कंपनी में क्लेम करने की सुविधा मिलेगी.

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नियम के मुताबिक 30 दिन के भीतर बीमा कंपनियों को क्लेम स्वीकार या रिजेक्ट करना होगा. यही नहीं, उपभोक्ताओं को OPD वाली कवरेज पॉलिसी में टेलीमेडिसिन का खर्च भी दिया जाएगा. खबर है कि अब मानसिक और जेनेटिक बीमारियों को हेल्थ इंश्योरेंस में शामिल किया जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोबोटिक सर्जरी, स्टेम सेल थैरेपी, न्यूरो डिसऑर्डर और ओरल कीमोथैरेपी का भी कवर मिल सकता है.

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पॉलिसी जारी होने के तीन महीने के भीतर लक्षण पर प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी माना जाएगा. 8 साल तक प्रीमियम के बाद क्लेम रिजेक्ट नहीं होगा. 8 साल पूरे होने के बाद पॉलिसी को लेकर कोई पुनर्विचार नहीं किया जाएगा. फार्मेसी, इंप्लांट और डायग्नोस्टिक से जुड़ा पूरा खर्च क्लेम में मिलेगा.

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गौरतलब है कि मौजूदा समय में बीमाधारकों को कंपनियां कई तरह की वजह बताकर क्लेम देने से मना कर देती थीं. इस तरह की हजारों शिकायतें हर साल मिलती हैं. लेकिन अब नए नियम से पॉलिसी होल्डर्स को राहत मिलने वाली है. 

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