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कोरोना की दूसरी लहर देश में लाएगी 2020 जैसी ‘आर्थिक तबाही’? जानें क्या बोले एक्सपर्ट्स

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 1:34 AM IST
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कोरोना की पहली लहर के दौरान 2020 में लगे लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया था. अभी देश में बढ़ रहे कोरोना के मामलों से देश के आर्थिक सुधार की रफ्तार सुस्त पड़ी है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर से होने वाला आर्थिक नुकसान इस बात पर निर्भर करेगा कि हमने कितनी जल्दी कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ा. (Photos : File)

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कोरोना को रोकने के लिए जो स्थानीय लॉकडाउन लगाए गए हैं. वह पिछले साल लगाए गए नेशनल लॉकडाउन जैसे कड़े नहीं है. हालांकि आर्थिक गतिविधियां गिरी हैं, राज्यों के लगाए लॉकडाउन का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा जानें आगे की स्लाइड्स में.
(Photo: PTI)

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राज्य सरकारों के स्थानीय लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभाव थोक और छोटे खुदरा कारोबारियों पर पड़ा है. लेकिन सरकारों ने सामान की आवाजाही को नहीं रोका है और ना ही उद्योगों को बंद करने के लिए कहा है. इससे आर्थिक नुकसान सीमित हो सकता है.

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देश में कोरोना संक्रमण का पीक मई के मध्य तक आ सकता है. देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने अपनी एक रिपोर्ट में ये दावा किया है कि अगले 20 दिन में हम कोरोना संक्रमण के पीक पर होंगे. अगर देश के पिछले अनुभवों के आधार पर देखें तो हमारा कोरोना का रिकवरी रेट 77.8% पर आने की संभावना है. अगर सभी एहतियात को कड़ाई से बरता जाए तो मई के मध्य कोरोना के सक्रिय मामलों में कमी आ सकती है. वहीं एक मई से सभी व्यस्कों के लिए वैक्सीनेशन शुरू करने से भी कोरोना का असर कम होगा.

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रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान औद्योगिक गतिविधियों पर होने वाला असर 2020 की तबाही की तुलना में छोटा है. वहीं जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा का भी मानना है कि कारोबारी गतिविधियों में गिरावट आई है लेकिन अर्थव्यवस्था पर इसका असर सीमित होगा. (Representative Photo)

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नोमुरा का कहना है कि अन्य देशों के अनुभव दिखाते हैं कि लोगों की आवाजाही और देश की आर्थिक वृद्धि के बीच का संबंध बहुत बड़ा असर डालने वाला नहीं है. उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर देश की अर्थव्यवस्था को निकट अवधि में एक नकारात्मक झटका दे सकती है, लेकिन मध्यम अवधि में देश की अर्थव्यवस्था स्थिर रहेगी. हालांकि कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना से अर्थव्यवस्था के लिए कुछ जोखिम खड़े हो सकते हैं. अगली स्लाइड में जानें क्या हैं वो जोखिम...

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देश की अर्थव्यवस्था पर कोरोना की दूसरी लहर का उतना गहरा असर भले नहीं पड़े, लेकिन अधिकतर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इससे अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारने वाले कई जोखिम खड़े हो जाएंगे, जैसे लोगों के बीच आय की असमानता बढ़ना, बेरोजगारी और महंगाई का बढ़ना, ग्राहकों का कॉन्फिडेन्स कम होना. (Representative Photo)

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