लगातार उछाल के बाद पिछले हफ्ते देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. 11 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 35.3 करोड़ डॉलर फिसलकर 541.660 अरब डॉलर रह गया. कोरोना संकट के बीच विदेशी मुद्रा भंडार ने सरकार का खूब साथ दिया है.
इससे पहले चार सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 58.2 करोड़ डॉलर चढ़कर 542.013 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. बता दें इस वर्ष पांच जून को खत्म सप्ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 500 अरब डॉलर के पार पहुंचा था. पिछले हफ्ते ही लोकसभा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 537 अरब डॉलर तक बढ़ चुका है. उन्होंने बताया कि यह 19 महीने के आयात के लिए काफी है.
आरबीआइ के मुताबिक 11 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते के दौरान विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में 84.1 करोड़ डॉलर की गिरावट आई, जिसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर दिखा. एफसीए में डॉलर को छोड़ यूरो, पाउंड और अन्य मुद्राओं के भंडार में उतार-चढ़ाव को शामिल किया जाता है. इसका आंकलन भी डॉलर से होता है. समीक्षाधीन सप्ताह के आखिर में देश का स्वर्ण भंडार 49.9 करोड़ डॉलर मजबूत होकर 38.02 अरब डॉलर पर जा पहुंचा.
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिला विशेष आहरण अधिकार (SDR) 10 लाख डॉलर घटकर 1.482 अरब डॉलर हो गया. मुद्रा कोष के पास जमा देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.1 करोड़ डॉलर घटकर 4.637 अरब डॉलर रहा.
वित्त वर्ष 2019-20 में ये रहा हाल
भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 64.9 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 11.7 अरब डॉलर की कमी हुई थी. वर्तमान में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया के कई बड़े देशों से ज्यादा हो गया है. (Photo: File)
विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने का मतलब
विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी किसी भी देश की इकोनॉमी के लिए अच्छी बात है. इसमें करंसी के तौर पर अधिकतर डॉलर होता है. डॉलर के जरिए ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है. फिलहाल, डॉलर के मुकाबले भारतीय करंसी 75 रुपये के करीब है. (Photo: File)