कोरोना काल में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों ने अपने घर का रुख किया है. इस दौरान अधिकतर कंपनियों ने अपना पल्ला झाड़ लिया और इस वजह से मजदूरों को कई तरह की परेशानी हुई.
यही नहीं, मजदूरों के किराये को लेकर भी एक लंबी बहस छिड़ी थी. हालांकि, अब सरकार ने एक ऐसा नियम बनाया है जिसके तहत साल में एक बार कामगारों के किराये की जिम्मेदारी कंपनी की होगी. आइए इस नए नियम के बारे में जानते हैं.
दरअसल, केंद्र सरकार के लेबर कोड बिल को सदन से मंजूरी मिली है. इसमें प्रावधान है कि प्रवासी मजदूरों को साल में एक बार अपने गृह नगर की यात्रा के लिए कंपनी से यात्रा भत्ता मिलेगा.
मतलब ये कि साल में एक बार मजदूरों को अपने घर जाने के लिए टिकट का खर्च देने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि ये पैसे कंपनी देगी.
बता दें कि लेबर कोड बिल के एक अन्य प्रावधान में कंपनी अपने कामगारों का हेल्थ चेकअप भी करवाएगी. इसके मुताबिक एक निर्धारित उम्र से अधिक आयु वाले कामगारों के लिए साल में एक बार निःशुल्क चिकित्सा जांच कराना अनिवार्य है.
इसके साथ ही कामगारों को नियुक्ति पत्र प्राप्त करने का कानूनी अधिकार दिया गया है. ये नियम पहली बार लागू हो रहा है.