डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार सभी तरह के डेबिट और प्रीपेड कार्ड पर मर्चेंट डिस्काउंट चार्ज (MDR) चार्ज की लिमिट तय करे. सरकार को ये सुझाव आईआईटी मुंबई की ओर से दिया गया है. इस सुझाव पर सरकार कितना अमल करेगी ये तो बाद की बात है लेकिन सवाल है कि एमडीआर क्या होता है और इसका ग्राहकों पर क्या असर है.
मर्चेंट डिस्काउंट यानी एमडीआर वह रेट होता है, जो बैंक किसी भी दुकानदार अथवा कारोबारी से कार्ड पेमेंट सेवा के लिए लेता है. ज्यादातर कारोबारी एमडीआर चार्जेज का भार ग्राहकों डालते हैं और बैंकों को दी जाने वाली फीस का अपनी जेब पर भार कम करने के लिए ग्राहकों से भी इसके बूते फीस वसूलते हैं.
सिफारिश में कहा गया है कि डेबिड कार्ड पर एमडीआर लेनदेन मूल्य के मुकाबले 0.6 प्रतिशत तक सीमित करने की जरूरत है. एमडीआर के लिए 0.6 प्रतिशत की निर्धारित दर पर ऊपरी सीमा 150 रुपये तय की जानी चाहिए.
सुझाव के मुताबिक पीओएस आधारित भुगतान स्वीकार करने वाले छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए, जहां वार्षिक कारोबार दो करोड़ रुपये तक है, वहां 2,000 रुपये तक के लेनदेन के लिए एमडीआर सीमा 0.25 प्रतिशत तक की जा सकती है, जबकि 2,000 से अधिक के लेनदेन के लिए यह सीमा 0.6 प्रतिशत तक हो सकती है.
इस समय 20 लाख रुपये या अधिक के वार्षिक कारोबार वाले व्यवसायों के लिए डेबिट कार्ड एमडीआर की सीमा लेनदेन मूल्य का 0.9 प्रतिशत है, जो अधिकतम 1,000 रुपये तक हो सकती है.