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क्या हैं रेयर अर्थ मेटल्स जिनकी वजह से अफगानिस्तान पर गड़ी हैं चीन की नजरें, अमेरिका परेशान?

दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली ,
  • 16 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST
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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के साथ ही वहां चीन का बढ़ता प्रभुत्व अमेरिका, यूरोप सहित भारत के लिए भी चिंता की बात है. इसकी सबसे बड़ी वजह है अफगानिस्तान के खनिज संसाधन और खासकर रेयर अर्थ एलिमेंट. आइए जानते हैं कि क्या होते हैं रेयर अर्थ मेटल या एलिमेंट और इनका अफगानिस्तान से क्या नाता है? (फाइल फोटो: Getty Images)

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क्या होते हैं रेयर अर्थ एलिमेंट: रेयर अर्थ मिनरल्स या रेयर अर्थ एलिमेंट (REE) 17 ऐसे धातु तत्व होते हैं जो आजकल के करीब 200 हाईटेक डिवाइसेज के लिए काफी जरूरी हैं. इन हाईटेक डिवाइसेज में हाईटेक कंज्यूमर प्रोडक्ट, मोबाइल फोन, कंप्यूटर हार्ड ड्राइव, इलेक्ट्र‍िक एवं हाइब्रिड वाहन, कंप्यूटर मॉनिटर, टेलीविजन आदि शामिल हैं. इनके अलावा ये डिफेंस में भी काफी अहम चीजों में इस्तेमाल होते हैं, जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले, गाइडेंस सिस्टम, लेजर, रडार, सोनार सिस्टम आदि.  (फाइल फोटो)

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neodymium, praseodymium और dysprosium जैसे रेयर अर्थ मिनरल ऐसे मैग्नेट बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं जिनकी इलेक्ट्र‍िक कारों, टर्बाइन जैसे भविष्य के इंडस्ट्रीज में काफी जरूरत पड़ती है. यही नहीं इन खनिज का इस्तेमाल अभी भी स्मार्टफोन, कंप्यूटर स्क्रीन,टेलीस्कोपिक लेंस में बड़े पैमाने पर हो रहा है. इन रेयर अर्थ मिनरल्स से ऐसे मैगनेट बनते हैं जिनके बिना कई तरह के डेस्कटॉप और लैपटॉप बिल्कुल नहीं चल सकते. ये रेयर मिनरल्टस इलेक्ट्र‍िक व्हीकल से लेकर विंड टबाईन, ड्रोन जैसे भविष्य की ऊर्जा, सामरिक महत्व की चीजों के लिए काफी अहम हैं.  (फाइल फोटो: Getty Images)

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रेयर अर्थ इलेक्ट्र‍िक वाहनों में इस्तेमाल होने वाले लीथ‍ियम बैटरी, कंप्यूटर चिप आदि के निर्माण में होता है. लैपटॉप से लेकर, मोबाइल फोन, जीपीएस सिस्टम, प्रीसीजन गाइडेड वेपन्स, ड्रोन, सैटेलाइट, स्टील्थएयरक्राफ्ट, हाइपरसोनिक वेपन्स सबमें ऐसी चिप का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए ये रेयर अर्थ मिनरल टर्बाइन से लेकर इलेक्ट्र‍िक वाहनों, एडवांस कम्युनिकेशन, नेक्स्ट जनरेशन की मिलिट्री टेक्नोलॉजी के लिए काफी अहम हैं.  (फाइल फोटो: Getty Images)

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अभी करीब 17 तरह के ऐसे खास मिनरल का उत्खनन और रिफाइनिंग का ज्यादातर हिस्सा चीन में ही होता है. US ज्यूलॉजिकल सर्वे के अनुसार, साल 2019 में अमेरिका ने अपने रेयर अर्थ मिनरल्स की जरूरत का करीब 80 फीसदी हिस्सा चीन से आयात किया था. इसी तरह यूरोपीय आयोग के मुताबिक यूरोपीय संघ रेयर अर्थ मिनरल्स का 98 फीसदी हिस्सा चीन से आयात करता है.  (फाइल फोटो: Getty Images)

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भविष्य में पूरी दुनिया ग्रीन एनर्जी की ओर जा रही है, भारत में भी इसे काफी महत्व दिया जा रहा है. ऐसे में रेयर अर्थ पर चीन का बढ़ता प्रभुत्व और चिंता बढ़ाने वाला है. अमेरिका भी रेयर अर्थ मिनरल्स का उत्पादन काफी बढ़ाना चाहता है. इसलिए ये रेयर अर्थ मिनरल टर्बाइन से लेकर इलेक्ट्र‍िक वाहनों, एडवांस कम्युनिकेशन, नेक्स्ट जनरेशन की मिलिट्री टेक्नोलॉजी के लिए काफी अहम हैं.  (फाइल फोटो)

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चीन के लिए क्यों अहम हैं ये तत्व: चीन अभी दुनिया का मैन्युफक्चरिंग केंद्र है और अगर अगले वर्षों में भी मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बने रहना है तो उसे इन मिनरल्स पर प्रभुत्व जमाना ही होगा. मैन्युफक्चरिंग में फिलहाल अमेरिका, यूरोप तो चीन को चुनौती दे ही रहे हैं, भारत भी उससे यह तमगा छीनकर खुद को दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनाना चाहता है. इसलिए अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा और चीन का वहां बढ़ता प्रभुत्व अमेरिका, यूरोप सहित भारत के लिए भी चिंता की बात है.  (फाइल फोटो: Getty Images)

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अफगानिस्तान में खनिज भंडारों पर सबकी नजर: अफगानिस्तान दुनिया के सबसे समृद्ध खनिज भंडारों वाला देश है. एक अनुमान के अनुसार वहां करीब 3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के मिनरल और रेयर अर्थ मिनरल मौजूद हैं जिनका दोहन अभी नहीं हो पाया है. इसलिए अमेरिका के लिए यह बेहद जरूरी था कि उसके सैनिक वहां लंबे समय तक टिके रहते और वह वहां पर खनिजों का दोहन कर पाता. लेकिन इस लिहाज से यह कहा जा सकता है कि अमेरिका की हार हुई है और चीन को विजय मिली है. (फाइल फोटो: Getty Images)

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साल 2006 में कुछ अमेरिकी रिसर्चर ने अफगानिस्तान का एरियल सर्वे कर यह पता लगाया था कि अफगानिस्तान में करीब 6 करोड़ टन तांबा, 2.2 अरब टन आयरन ओर, 14 लाख टन रेयल अर्थ तत्व और बड़ी मात्रा में एल्युमिनियम, गोल्ड, सिल्वर, जिंक, मर्करी और लीथ‍ियम के भंडार हैं. (फाइल फोटो: Getty Images)

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चीन का बढ़ा प्रभाव चिंताजनक: अमेरिका द्वारा अपने सैनिकों को वापस बुलाने के साथ ही चीन ने वहां अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू कर दिया था. अमेरिका के कमजोर पड़ते ही अफगानिस्तान में चीन और पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ने लगा. चीन की नजर वहां के प्राकृतिक संसाधनों और खनिज भंडारों पर है. चीन की सड़क और ऊर्जा पाइपलाइन जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भी अफगानिस्तान अहम है. अफगानिस्तान में करीब 159.6 करोड़ बैरल का तेल और 15,687 लाख करोड़ ट्रिलियन क्यूबिक फीट का गैस भंडार है.  (फाइल फोटो: Getty Images)

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संसाधनों पर कब्जा पहले से: चीन अभी भी अफगानिस्तान का सबसे बड़ा विदेशी निवेशक देश है. चीन के इन प्राकृतिक संसाधनों के बड़े हिस्से पर चीन की कई दिग्गज कंनियों का कब्जा भी हो चुका है, जिनमें China Metallurgical ग्रुप कॉर्प, Zijin Mining ग्रुप कंपनी, Jiangxi कॉपर कॉरपोरेशन शामिल हैं. चीन साल 2016 में ही अफगानिस्तान को अपने BRI नेटवर्क का हिस्सा बना चुका है.  (फाइल फोटो: चीनी विदेश मंत्रालय)

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