कोरोना काल (Covid) में बहुत से लोगों की असमय मौत (death) की कई खबरें हम सबको विचलित करती रही हैं. किसी व्यक्ति की अकाल मौत होने पर उसका परिवार बेसहारा हो जाता है. लेकिन यह अच्छी बात है कि नौकरी करने वालों को ऐसे कई सुरक्षा उपाय हासिल होते हैं, जो उसके परिजनों को आड़े वक्त में राहत दे सकते हैं. आइए जानते हैं कि अगर किसी व्यक्ति की नौकरी करने के दौरान मौत हो जाती है. तो उसके परिजनों को कंपनी से क्या-क्या फायदे मिल सकते हैं? (प्रतीकात्मक तस्वीर)
पीएफ या ईपीएफ पैसा: किसी व्यक्ति के नॉमिनी को कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) अकाउंट में जमा पूरा पैसा मिल जाता है. यदि नॉमिनी जिंदा न हो या मृतक कर्मचारी ने किसी को अपने पीएफ में नॉमिनी ही न बनाया हो तो उसका कानूनी वारिस इस रकम पर दावा कर सकता है. अगर नॉमिनी का नाम ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट किया गया है तो नॉमिनी या बेनिफिशियरी पीएफ की रकम को ऑनलाइन क्लेम कर सकता है या सकती है. (फाइल फोटो: Getty Images)
ईपीएस के तहत पेंशन: किसी कर्मचारी की मौत होने पर उसका पेंशन उसके पत्नी या पति को मिलता है. कर्मचारी पेंशन योजना के नियमों के मुताबिक मृतक की पत्नी या पति और उसके दो बच्चों को पेंशन मिल सकता है. बच्चों की उम्र 25 साल से कम होनी चाहिए. मृतक की पति या पत्नी जिंदा है तो उसके बच्चों को पेंशन का सिर्फ 25 फीसदी हिस्सा ही उनके 25 साल की उम्र होने तक मिलेगा. यदि बच्चा विकलांग है तो उसे पेंशन का 75 फीसदी हिस्सा आजीवन मिल सकता है. (फाइल फोटो)
कर्मचारी ने यदि किसी को नॉमिनी नहीं बनाया है और वह अविवाहित था तो पेंशन उसके पिता को दिया जाएगा. पिता की मौत के बाद कर्मचारी की मां को आजीवन पेंशन मिलेगा. कर्मचारी का यदि अपना कोई परिवार नहीं है तो उसने जिसे भी
नॉमिनी बनाया है उसे पेंशन मिलेगा. (फाइल फोटो: Getty Images)
एम्प्लॉई डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (EDLI): इस योजना के तहत सभी ईपीएफ खाताधारकों की सैलरी के मुताबिक 2.5 लाख से लेकर 7 लाख रुपये तक का बीमा होता है. सभी ईपीएफ खाताधारकों का बीमा होता है और उसकी सैलरी से इसके लिए पैसा कटता है. इसलिए परिजन किसी कर्मचारी की मौत पर ईडीएलआई के तहत बीमा राशि के भी हकदार होते हैं. (फाइल फोटो)
ग्रैच्युटी: किसी कर्मचारी की मौत के बाद उसकी ग्रैच्युटी की राशि उसके नॉमिनी को दी जाती है. इसकी राशि इस पर निर्भर करती है कि कर्मचारी की सैलरी कितनी है और उसने कितने साल काम किया है. अगर कोई नॉमिनी नहीं है तो ग्रेच्युटी की राशि उसके कानूनी वारिस को दी जाएगी. ग्रैच्युटी के तहत अधिकतम 20 लाख रुपये तक का लाभ मिलता है. (फाइल फोटो)
उपरोक्त सभी के अलावा कर्मचारी की बकाया सैलरी, बोनस आदि भी उसके नॉमिनी को मिलता है. अगर नॉमिनी नहीं है तो बकाया राशि उसके कानूनी वारिस को मिलेगी. (फाइल फोटो)