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बैंकों का प्राइवेटाइजेशन होगा आसान, सरकार की एक ‘कॉमन’ कानून बनाने की तैयारी!

संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू हो रहा है. इस बार सरकार संसद में 26 विधेयक पेश करने वाली है, जिसमें से कई विधेयक आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने वाले हैं. इन्हीं में से एक विधेयक सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन से जुड़ा है.

बैंकों का प्राइवेटाइजेशन होगा आसान (Representative Photo : Getty) बैंकों का प्राइवेटाइजेशन होगा आसान (Representative Photo : Getty)
राहुल श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:53 PM IST
  • प्राइवेटाइजेशन के लिए मिल सकती है ज्यादा ताकत
  • इस साल 2 सरकारी बैंकों का होना है प्राइवेटाइजेशन

आर्थिक सुधारों पर आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार इस शीतकालीन सत्र में सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन से जुड़ा एक अहम विधेयक ला सकती है. ये संसद में पेश किए जाने वाले विधेयकों की सूची में शामिल है. 2021-22 का आम बजट पेश करते वक्त सरकार ने 2 बैंकों को इसी वित्त वर्ष में प्राइवेट बनाने की भी घोषणा की थी, उम्मीद की जा रही है ये विधेयक इसी काम को पूरा करने के लिए लाया जा सकता है. वैसे भी सरकार ने चालू वित्त वर्ष में  1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है.

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बैंकों के प्राइवेटाइजेशन पर ‘कॉमन’ कानून
संसद में पेश होने वाले विधेयकों की सूची में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक-2021 शामिल है. लेकिन इस विधेयक में प्राइवेट किए जाने वाले बैंकों के नाम का उल्लेख नहीं है. ऐसे में संभावना है कि इस विधेयक के माध्यम से सरकार बैंकों के प्राइवेटाइजेशन के लिए कोई ‘कॉमन’ कानून बना रही हो.

सूत्रों ने जानकारी दी कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन को लेकर ऐसा कानून (Enabling Law) बना सकती है जिससे बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया आसान बने और सरकार के हाथ मजबूत हों.

होगा इन कानूनों में संशोधन
नए संशोधन विधेयक के माध्यम से सरकार बैंकिंग सेक्टर से जुड़े अहम विधेयकों में बदलाव करने की तैयारी कर रही है. इसमें 1970 और 1980 के बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और अन्तरण) कानून के साथ-साथ बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 के कई प्रावधानों में बदलाव होना शामिल है.

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‘कॉमन’ कानून बनाने की ये है वजह
देश में बैंकों के राष्ट्रीयकरण को लेकर 1969 में पहला और 1980 में दूसरा बड़ा बदलाव हुआ. तब जो कानून बनाए गए उसने देश में सभी 34 बैंकों का एक साथ राष्ट्रीयकरण कर दिया. ये एक तरह के कॉमन कानून थे जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के लिए बनाए गए कानून से अलग रहे.

बाद के वर्षो में कई बैंकों का आपस में विलय हुआ, कई का स्वरूप बदल गया लेकिन इसके लिए मूल तौर पर बनाए गए सरकारी बैंकों के कानून को बदलने की जरूरत नहीं पड़ी. सिर्फ जब-जब सरकार ने किसी बैंक का प्राइवेटाइजेशन किया तब-तब उसे संसद से मंजूरी लेनी पड़ी.इसलिए सरकार इस बार बैंकों के प्राइवेटाइजेशन के लिए लाए जाने वाले विधेयक के माध्यम से एक आसान प्रक्रिया वाला कानून (इनेबलिंग लॉ) बनाना चाहती है. 

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