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अडानी ग्रुप को लेकर एक और खुलासा, क्या FPO वापस लेने की ये थी असली वजह?

अडानी ग्रुप के लिए संकट का समय खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अब फोर्ब्स ने अडानी एंटरप्राइजेज के FPO में निवेश से संबंधित बड़ा खुलासा किया है. अडानी ग्रुप ने इस FPO को वापस ले लिया था.

अडानी ग्रुप के चेयरमैन- गौतम अडानी (फाइल फोटो) अडानी ग्रुप के चेयरमैन- गौतम अडानी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:03 AM IST

अडानी ग्रुप (Adani Group) के लिए फिलहाल मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं. हिंडनबर्ग के बाद अब फोर्ब्स ने अडानी ग्रुप के लोकर चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है. फोर्ब्स के अनुसार, अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) के 2.5 अरब डॉलर (20,000 करोड़) के FPO के तहत जिन तीन निवेश फंडों ने शेयर खरीदे थे उनका संबध अडानी ग्रुप और संदिग्ध अडानी प्रॉक्सी से है. 27 जनवरी 2023 को अडानी ग्रुप ने अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज का FPO जारी किया था और फिर फुल सब्सक्राइब होने के बाद इसे अचानक वापस ले लिया था. अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने FPO की वापसी की वजह कंपनी के गिरते शेयरों को बताया था.

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क्या तीन फंड ने खरीदे थे शेयर?

फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, दो मॉरीशस बेस्ड फंड, आयुषमत लिमिटेड और एल्म पार्क फंड और भारत बेस्ड एविएटर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फंड ने एंकर निवेशकों के लिए उपलब्ध सभी शेयरों में से 9.24 फीसदी खरीदने के लिए सहमत हुए थे. 9.24 फीसदी शेयर का वैल्यूएशन केवल 66 मिलियन डॉलर होता है. अहम बात है ये कि अडानी ग्रुप को इन फर्मों से मदद मिलने के अधिक प्रमाण हैं.

शेयरों में तेज गिरावट

इन तीन फंडों के साथ अडानी ग्रुप के संबंध को लेकर पहले किसी भी तरह की रिपोर्ट सामने नहीं आई थी. हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी एंटरप्राइजेज के दो बुक-रनर, इलारा कैपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल पर अडानी ग्रुप का सहयोगी होने का आरोप लगाया था. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद से ही अडानी ग्रुप के शेयरों में तेज गिरावट का दौर शुरू हो गया था. तीन फरवरी तक अडानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों ने 10 लाख करोड़ रुपये का मार्केट कैपिटलाइजेशन गंवा दिया. अडानी एंटरप्राइजेज के स्टॉक्स में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है.

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आयुषमत लिमिटेड का संबंध

अडानी एंटरप्राइजेज के एंकर निवेशकों में से एक आयुषमत लिमिटेड एक मॉरीशस बेस्ड फंड था, जिसने इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स को शुरुआती पेशकश किए गए शेयरों में से 2.32 फीसदी खरीदने का वादा किया था. आयुष्मान को मॉरीशस की एक वित्तीय सेवा फर्म रोजर्स कैपिटल द्वारा मैनेज किया जाता है. रोजर्स के निदेशकों और प्रमुख शेयरधारकों में से एक जयचंद जिंग्री हैं, जो पहले मॉरीशस-मुख्यालय वाले अडानी ग्लोबल लिमिटेड के निदेशक थे. यह अडानी एंटरप्राइजेज की सहायक कंपनी थी. जिंग्री के संबंध गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी से भी हैं. वो अडानी समूह की ऑफशोर कंपनियों के अहम प्लेयर हैं. 

आयुषमत लिमिटेड के एक निदेशक विक्रम रेगे ने फोर्ब्स को ईमेल किए गए एक बयान में कहा कि आयुष्मान लिमिटेड अडानी समूह के किसी भी प्रिंसिपल की ओर से किसी भी फंड का प्रबंधन नहीं करता है. जयचंद जिंग्री ने अभी तक इस मामले पर कोई भी बयान नहीं दिया है.  

दूसरा सबसे बड़ा निवेशक

विक्रम रेगे एल्म पार्क फंड में एक निदेशक भी हैं, जिसने अडानी एंटरप्राइजेज के FPO में दूसरे सबसे बड़ा निवेशक (5.67%) बनने की योजना बनाई थी. 2018 में मनीलाइफ इंडिया द्वारा प्राप्त एक व्हिसलब्लोअर शिकायत के अनुसार, मॉरीशस स्थित एल्म पार्क फंड पर भी सन फार्मा स्टॉक हेराफेरी की प्लानिंग में शामिल होने का आरोप लगा था. रेगे ने एल्म पार्क फंड के बारे में फोर्ब्स के सवालों का जवाब नहीं दिया है.

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एविएटर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट का अडानी ग्रुप से कनेक्शन

एविएटर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फंड ने अडानी एंटरप्राइजेज के एंकर शेयरों का 1.25 फीसदी सब्सक्राइब किया था. एविएटर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फंड के वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारी, भारतीय संसदीय रिकॉर्ड 2021 के अनुसार, एंटोनिनो सरडेग्नो हैं. सार्डेग्नो के लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार (जिसे फोर्ब्स की रिपोर्ट के बाद हटा दिया गया), उन्होंने मोंटेरोसा समूह के लिए 2008 से 2013 तक 'इन्वेस्टमेंट सॉल्यूशन' का नेतृत्व किया था.

अपनी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि मोंटेरोसा ग्रुप और उसके पांच निवेश फंड, जिनके पास अडानी की कंपनी का 4.5 बिलियन डॉलर का स्टॉक है (24 जनवरी तक) और ये अडानी की सबसे बड़ी 'स्टॉक पार्किंग एंटिटी' थी. इसका मतलब ये है कि ऑनरशिप को छुपाने के लिए बनाया गया थर्ड पार्टी फंड.

एंटोनिनो सरडेग्नो 2013 से अगस्त 2022 तक एंडेटा प्राइवेट सर्विसेज के सीईओ थे. एंडेटा, जिसे हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में ऑफशोर फर्म एमिकॉर्प की सहायक कंपनी होने का दावा किया है. वो न्यू लीना इन्वेस्टमेंट्स का नियंत्रक शेयरधारक है, जो एक साइप्रस फंड है. ये पहले अडानी ग्रीन में एक फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी रखता था. इसके अलावा अडानी ग्रुप की अन्य कंपनियों में भी इसकी छोटी हिस्सेदारी थी.

अडानी ग्रुप पर बड़ा आरोप

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फोर्ब्स के अनुसार, अगर अडानी समूह के प्रिंसिपल इन विभिन्न फंड के बेनिफिसियल ऑनर है, तो इसका मतलब यह होगा कि अडानी समूह अपने प्रतिद्वंद्वियों में से एक हिंदुजा ग्रुप में बड़ा स्टेकहोल्डर भी होगा. क्योंकि एविएटर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फंड, न्यू लीना इन्वेस्टमेंट्स और अडानी ग्रुप से जुड़े तीन अन्य फंड- इलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड, कोनकोर इन्वेस्टमेंट एंटरप्राइज लिमिटेड और एलजीओएफ ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज लिमिटेड सभी हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस, हिंदुजा लीलैंड फाइनेंस और हिंदुजा की गल्फ ऑयल में काफी हिस्सेदारी रखते हैं.

 

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