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राहुल गांधी के सवाल पर अडानी ग्रुप का जवाब, 4 साल का लेखा-जोखा, बताया कहां से आया पैसा?

Adani Group की ओर से ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स (FT) की रिपोर्ट को भी सिरे से खारिज कर दिया गया है और कहा कि Adani Group ने कुछ भी गलत नहीं किया है और इस समय उसे बर्बाद करने की प्रतिस्पर्धा चल रही है.

अडानी ग्रुप ने चार साल में हिस्सेदारी बेचने का ब्योरा दिया अडानी ग्रुप ने चार साल में हिस्सेदारी बेचने का ब्योरा दिया
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से गौतम अडानी को लेकर लगातार सरकार को घेरा जा रहा है. वे लगातार इस सवाल को उठा रहे हैं कि आखिर Adani Group के पास 20 हजार करोड़ रुपये कहां से आए? अब इस सवाल के जवाब में अडानी ग्रुप की ओर से चार साल का पूरा ब्योरा दिया गया है. ग्रुप साल 2019 के बाद से अपनी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने का विवरण साझा किया है. इसमें बताया गया है कि कैसे कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर ग्रुप को 2.87 अरब डॉलर या करीब 23,567 करोड़ रुपये मिले हैं. 

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2.87 अरब डॉलर की हिस्सेदारी बेची
पीटीआई के मुताबिक, भारतीय अरबपति गौतम अडानी के Adani Group की ओर से बताया गया कि 2.87 अरब डॉलर की हिस्सेदारी बेचने से मिली रकम में से बीते चार साल में साथ ही 2.55 अरब डॉलर (लगभग 20,000 करोड़ रुपये) को बिजनेस में लगाया जा चुका है. ग्रुप की ओर से कहा गया कि अबू धाबी स्थित इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी जैसे बड़ा निवेशकों ने भी हमारी कंपनियों Adani Enterprises और Adani Green में बड़ा निवेश किया है.

निवेश का ये आंकड़ा 2.593 अरब डॉलर (लगभग 20,000 करोड़ रुपये) है. इसके अलावा कंपनी के प्रमोटर्स ने 2.783 अरब डॉलर (22 हजार करोड़ रुपये) जुटाने के लिए कंपनी की हिस्सेदारी बेची. ये हिस्सेदारी अडानी टोटल गैस लिमिटेड और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड से बेची गई.

फंड का यहां किया गया इस्तेमाल
अडानी ग्रुप की ओर से ये ब्योरा बीते दिनों इस रकम को लेकर आई एक विदेशी अखबार की रिपोर्ट और देश में इस मुद्दे को लेकर जारी राजनीति के बीच दिया गया है. Adani Group की ओर से कहा गया कि हिस्सेदारी बेचने से मिले फंड को अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड, अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड और अडानी पावर लिमिटेड जैसी पोर्टफोलियो कंपनियों की ग्रोथ के लिए इस्तेमाल किया गया.

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ग्रुप की ओर से विदेशी अखबार की रिपोर्ट को भी सिरे से खारिज कर दिया गया है और कहा कि Adani Group ने कुछ भी गलत नहीं किया है और इस समय उसे बर्बाद करने की प्रतिस्पर्धा चल रही है. 

अडानी समूह की ओर से दिए गए ब्योरे के मुताबिक, जनवरी 2021 में प्रमोटरों ने नवीकरणीय ऊर्जा फर्म, AGEL में 20 फीसदी हिस्सेदारी फ्रांस की दिग्गज कंपनी टोटल एनर्जी को बेचकर 2 अरब डॉलर जुटाए. इससे पहले, अडानी टोटल गैस लिमिटेड में 37.4 फीसदी हिस्सेदारी भी इसी फ्रांसीसी फर्म को 783 मिलियन डॉलर में बेचा गया था. अडानी ने कहा कि अडानी टोटल गैस में हिस्सेदारी बेचने से पैसा आया है.

विदेशी अखबार ने उठाए थे ये सवाल
बता दें कि ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स (FT) ने भारत के एफडीआई डेटा का एनालिसिस करके एक रिपोर्ट पब्लिश की थी. इसमें कहा गया था कि हाल के सालों में अडानी ग्रुप में जितना एफडीआई आया है, उसका लगभग आधा हिस्सा उनके परिवार से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों से ही आया है. रिपोर्ट में दावा किया गया था, 'अडानी और उनके परिवार से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों ने 2017 से 2022 के बीच अडानी ग्रुप में कम से कम 2.7 अरब डॉलर का इन्वेस्ट किया है.'  

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ये रकम इस दौरान अडानी ग्रुप को मिले कुल 5.7 अरब डॉलर के कुल एफडीआई का 45.4 फीसदी है. इस रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सवाल उठाया गया था कि अडानी ग्रुप को शेल कंपनियों से 20,000 करोड़ रुपए मिले हैं. 

 

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