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रूस से गैस की सप्लाई रद्द, अब भारत दोगुनी कीमत पर खरीदने को मजबूर!

प्राकृतिक गैस की कीमतों में आई उछाल के बाद कई देशों में औद्योगिक कामकाज भी प्रभावित हुआ है. उच्च ईंधन लागत के कारण अगस्त में भारत की खुदरा महंगाई दर में भी इजाफा हुआ है, जो एक बार फिर से सात फीसदी के आंकड़े पर पहुंच गई है.

भारत को नेचुरल गैस के लिए भुगतान करना पड़ रहा अधिक पैसा. भारत को नेचुरल गैस के लिए भुगतान करना पड़ रहा अधिक पैसा.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:53 PM IST

रूस (Russia) से लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) शिपमेंट की डिलीवरी रद्द होने के बाद भारत को इसके लिए दोगुनी कीमत का भुगतान करना पड़ा है. गेल इंडिया लिमिटेड (Gail India) ने अक्टूबर और नवंबर के बीच डिलीवरी के लिए कई लिक्विफाइड नेचुरल गैस के कार्गो खरीदे हैं. इस कार्गो के लिए भुगातन की गई राशि पिछले साल की इस अवधि के मुकाबले दोगुनी है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद प्राकृतिक गैस की कीमतों में आई वैश्विक उछाल का असर सबसे अधिक विकाशील देशों पर पड़ा है. इस वजह से उन्हें नेचुरल गैस खरीदने के लिए अधिक पैसे का भुगतान करना पड़ रहा है.

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इस वजह से बढ़ी महंगाई दर

प्राकृतिक गैस की कीमतों में आई उछाल के बाद कई देशों में औद्योगिक कामकाज भी प्रभावित हुआ है. उच्च ईंधन लागत के कारण अगस्त में भारत की खुदरा महंगाई दर में भी इजाफा हुआ है, जो एक बार फिर से सात फीसदी के आंकड़े पर पहुंच गई है. नेचुरल गैस शिपमेंट को लेकर किए गए अधिक भुगतान पर गेल इंडिया की ओर किसी भी तरह का बयान नहीं आया है.

क्यों बढ़ी है परेशानी?

भारत पहले Gazporm PJSC की पूर्व ट्रेडिंग यूनिट से गैस खरीद रहा था. लेकिन इस साल की शुरुआत में जर्मनी ने इसका नेशनलाइजेशन कर दिया. इस वजह से भारत को अब गैस की सप्लाई में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. Gazporm गैस की सप्लाई नहीं करने की वजह से कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार जुर्माना चुका रही है.

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मामले की जानकारी रखने वाले व्यापारियों के अनुसार, गेल ने पिछले सप्ताह अक्टूबर से नवंबर में डिलीवरी के लिए तीन एलएनजी शिपमेंट खरीदे हैं. यह करार 40 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट से अधिक की कीमत पर हुई है.

भारत ने किया था 20 साल का करार

सिंगापुर में Gazporm के मार्केटिंग डिवीजन के साथ गेल 2018 में रियायती दर पर 20 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया था. यह इकाई तकनीकी रूप से Gazporm जर्मनिया GMBH का हिस्सा थी. अप्रैल में जर्मनी के नियामक ने सीज कर दिया था. इसके बाद कंपनी का नाम बदलकर सिक्योरिंग एनर्जी फॉर यूरोप जीएमबीएच कर दिया गया.

नई कंपनी अब रूस के यमल पेनुसुला से फ्यूल हासिल करने में सक्षम नहीं है. इस वजह से उसके पास भारत को सप्लाई करने के लिए गैस उपलब्ध नहीं है. कंपनी अब कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार, गेल को जुर्माना चुका रही है.


 

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