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सुप्रीम कोर्ट ने कहा-AGR का बकाया नहीं मिल रहा तो स्पेक्ट्रम, लाइसेंस कैंसिल क्यों नहीं करती सरकार? 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई कंपनी एजीआर का बकाया नहीं देती है तो सरकार को उसके स्पेक्ट्रम का लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि दूरसंचार विभाग के पास इस मामले से निपटने के लिए इसके अलावा और क्या रास्ता है?

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 24 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST
  • AGR बकाया मसले पर SC ने सख्त टिप्पणी की है
  • कोर्ट ने कहा कि इनका लाइेंसस रद्द होना चाहिए
  • कोर्ट ने कहा कि सरकार ऐसा क्यों नहीं करती

सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के एडजस्टेड ग्रास रेवेन्यू (AGR) के बकाये पर सख्त न​जरिया अपनाते हुए कहा कि अगर कंपनिंया बकाया नहीं दे रहीं तो सरकार उनका स्पेक्ट्रम लाइसेंस कैंसिल क्यों नहीं करती?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई कंपनी एजीआर का बकाया नहीं देती है तो सरकार को उसके स्पेक्ट्रम का लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए. कोर्ट ने कहा, 'दूरसंचार विभाग के पास इस मामले से निपटने के लिए इसके अलावा और क्या रास्ता है ' 

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सरकार की ये है राय 
दूसरी तरफ, सरकार की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल हरीश् साल्वे ने कहा, 'सरकार का बकाया स्पेक्ट्रम की बिक्री की वजह से नहीं फंसा है, बल्कि यह इन्सॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्शी कोड के प्रावधानों की वजह से और दूरसंचार विभाग का दर्जा एक ऑपरेशनल क्रेडिटर का होने की वजह से फंसा है.'

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जियो पर फंसा है मामला 
AGR (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्य) मामले में पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रिलायंस जियो आखिर रिलायंस कम्युनिकेशस को मिले स्पेक्ट्रम के लिए बकाया एजीआर का भुगतान क्यों नहीं करना चाहिए, जबकि वह तीन साल से इसका इस्तेमाल कर रही है. गौरतलब है कि एक समझौते के तहत अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) के स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल रिलायंस जियो कर रही है.

दूरसंचार विभाग के अनुसार आरकॉम के ऊपर करीब 25,194 करोड़ रुपये का बकाया है. कोर्ट ने इस बकाये का नवीनतम आंकड़ा विभाग से पूछा है, क्योंकि इस पर ब्याज बढ़ता जा रहा है.

क्या है मसला

एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है.

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दूरसंचार विभाग कहता है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाली संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपॉजिट इंट्रेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल हो. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना था कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए.

लेकिन पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ फैसले में कहा था कि उन्हें टेलीकॉम विभाग के मुताबिक एजीआर का बकाया चुकाना ही पड़ेगा. सभी टेलीकॉम कंपनियों का बकाया करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये है.

 

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