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AGS Transact: साल के पहले IPO की हुई लिस्टिंग, निवेशकों को हुआ इतना फायदा

AGS Transact Technologies के IPO की लिस्टिंग सोमवार को हुई. इसके साथ ही AGS Transact 2022 में लिस्ट होने वाली पहली कंपनी बन गई. पहले के शिड्युल के मुताबिक कंपनी की लिस्टिंग एक फरवरी, 2022 को होनी थी.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:41 AM IST
  • IPO को मिला था अच्छा रिस्पांस
  • यह IPO पूरी तरह OFS पर आधारित था

AGS Transact Technologies के IPO की लिस्टिंग सोमवार को हुई. इसके साथ ही AGS Transact 2022 में लिस्ट होने वाली पहली कंपनी बन गई. पहले के शेड्यूल के मुताबिक, कंपनी की लिस्टिंग एक फरवरी, 2022 को होनी थी लेकिन अचानक इसे 31 जनवरी, 2022 को लिस्ट करने का फैसला किया गया. एक फरवरी, 2022 को फाइनेंशियल ईयर 2022-23 का बजट पेश किया जाएगा. 

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जानिए कैसी रही लिस्टिंग
AGS Transact के शेयरों की सोमवार को फ्लैट लिस्टिंग हुई. NSE पर कंपनी के शेयर 0.9 फीसदी की मामूली बढ़त के साथ 176 रुपये प्रति शेयर पर लिस्ट हुए. BSE पर भी कंपनी के शेयर 175 रुपये प्रति शेयर पर लिस्ट हुए. हालांकि, मिनटों में ही कंपनी के शेयर करीब तीन फीसदी चढ़कर 180 रुपये पर पहुंच गए. इससे पहले इंडस्ट्री के एक्सपर्ट अनुमान लगा रहे थे कि कंपनी के आईपीओ की लिस्टिंग काफी उत्साहजनक नहीं रहने वाली है.  

AGS Transact IPO के बारे में जानिए
कंपनी ने इस IPO के लिए 166-175 रुपये का प्राइस बैंड तय किया था. यह आईपीओ पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल पर आधारित था. अपर प्राइस बैंड से कंपनी ने इस पब्लिक इश्यू से 680 करोड़ रुपये जुटाए हैं. 

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IPO को मिला था अच्छा रिस्पांस
वर्ष 2022 के पहले पब्लिक ऑफर को अच्छा रिस्पांस देखने को मिला. यह IPO 19 जनवरी को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था और इसे सब्सक्राइब करने की आखिरी तारीख 21 जनवरी, 2022 थी. इस ऑफर को कुल 7.79 गुना सब्सक्रिप्शन हासिल हुआ था. नॉन-इंस्टीच्युशनल इंवेस्टर्स के लिए आरक्षित हिस्से को 25.61 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था. क्वालिफाइड इंस्टीच्युशनल इंवेस्टर्स के लिए रिजर्व हिस्से को 2.68 गुना और रिटेल इंवेस्टर्स वाले हिस्से को 3.08 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था. 

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव
कंपनी के आईपीओ की लिस्टिंग ऐसे समय में हो रही है जब पिछली एक तिमाही में शेयर बाजार में काफी अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. फेड रिजर्व के उम्मीद से पहले ब्याज दर बढ़ाने, महंगाई दर से जुड़े दबाव, तेल की कीमतों में वृद्धि और केंद्रीय बजट से पहले निवेशकों के सतर्क रुख अपनाने से बाजार में हाल में करेक्शन देखने को मिला है. 

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