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वोडा आइडिया को मिलेगा बूस्ट! ये कंपनियां कर सकती हैं 30 हजार करोड़ निवेश

सुप्रीम कोर्ट से एजीआर मामले में 10 साल का समय मिलने के बाद वोडाफोन आइडिया अब दुनियाभर से निवेशकों की तलाश में है. आपको बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर मामले में टेलीकॉम कंपनियों को राहत दी है.

30 हजार करोड़ का निवेश 30 हजार करोड़ का निवेश
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:35 PM IST
  • एमेजॉन और वेरीजॉन कर सकती है निवेश
  • 30 हजार करोड़ के भारी निवेश की है संभावना
  • खबर का वोडा आइडिया के शेयर को फायदा

बीते कुछ समय से टेलीकॉम कंपनियां एडजस्ट ग्रॉस रेवेन्यू यानी एजीआर बकाया को लेकर काफी तनाव में हैं. हालांकि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को राहत देते हुए एजीआर बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया है. इस राहत के बाद अब वोडाफोन आइडिया निवेशकों की तलाश में जुट गई है.

खबर है कि एमेजॉन और अमेरिकी वायरलेस कंपनी वेरीजॉन वोडा आइडिया में 4 अरब डॉलर यानी 30 हजार करोड़ का भारी निवेश कर सकती हैं. रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट के हवाले से ये खबर प्रकाशित की है. अगर ऐसा होता है तो वोडा आइडिया के लिए एक बड़ी राहत की बात है. एमेजॉन के निवेश की खबर का फायदा वोडाफोन आइडिया के शेयर को मिला है. कंपनी का शेयर भाव 16 फीसदी से ज्यादा चढ़ गया है. फिलहाल, शेयर का भाव 11 रुपये से ज्यादा पर है.

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गूगल के निवेश की थी खबर

इससे पहले, वोडा आइडिया में गूगल के निवेश की खबरें आई थीं. हालांकि, वोडा आइडिया की ओर से इसे खारिज कर दिया गया. आपको बता दें कि वोडाफोन आइडिया पर 50 हजार करोड़ से ज्यादा का एजीआर बकाया था, इसमें से कंपनी ने मामूली भुगतान किया है. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वोडाफोन आइडिया को 10 साल की मोहलत मिल गई है. हालांकि, वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल ने एजीआर बकाया चुकाने के लिए 15 साल का समय मांगा था. 

25 हजार करोड़ से ज्यादा का घाटा

बता दें कि वोडाफोन आइडिया को चालू वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 25,460 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. एक साल पहले इसी तिमाही में कंपनी को 4,874 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. कंपनी को ये घाटा एजीआर बकाये के लिए प्रावधान करने से हुआ है.

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फेसबुक कर चुका है जियो में निवेश

इससे पहले फेसबुक ने रिलायंस जियो में निवेश किया है. जियो प्लेटफॉर्म पर निवेश के बाद फेसबुक की करीब 10 फीसदी हिस्सेदारी हो गई है. फेसबुक के अलावा अन्य कई विदेशी कंपनियों ने भी निवेश किया है. यही वजह है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज समय से पहले कर्जमुक्त हो सकी है. 

 

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