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अमेरिका का हैरान करने वाला कदम, भारत को भी 'करेंसी मैनिपुलेटर्स' देशों की निगरानी लिस्ट में डाला 

इस निगरानी सूची में भारत, चीन, ताइवान के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इटली, सिंगापुर, थाइलैंड और मलेशिया शामिल हैं. अमेरिका ने वियतनाम और स्विट्जरलैंड को पहले ही करेंसी मैनिपुलेटर्स की श्रेणी में रखा है. सभी इसके बड़े व्यापारिक साझेदार हैं. 

अमेरिकी कदम से भारत को हैरानी (प्रतीकात्मक तस्वीर) अमेरिकी कदम से भारत को हैरानी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 17 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:52 AM IST
  • अमेरिका ने भारत के प्रति दिखायी सख्ती
  • भारत को 'करेंसी मैनिपुलेटर्स' की सूची में रखा
  • इस सूची में दस देशों को शामिल किया गया है

अमेरिका ने भारत के प्रति सख्त रुख दिखाते हुए इसे भी चीन, ताइवान जैसे दस देशों के साथ 'करेंसी मैनुपुलेटर्स' यानी मुद्रा में हेरफेर करने वाले देशों की 'निगरानी सूची' में डाल दिया है. अमेरिका ने भारत ​सहित जिन दस देशों को इस सूची में डाला है. वे सभी इसके बड़े व्यापारिक साझेदार हैं. 

इस निगरानी सूची में भारत, चीन, ताइवान के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इटली, सिंगापुर, थाइलैंड और मलेशिया शामिल हैं. अमेरिका ने वियतनाम और स्विट्जरलैंड को पहले ही करेंसी मैनिपुलेटर्स की श्रेणी में रखा है. अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कांग्रेस में पेश अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. 

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क्या कहा गया रिपोर्ट में 

न्यूज एजेंसियों के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है जून 2020 तक की इसकी पिछली चार तिमाहियों में अमेरिका के चार प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों-भारत, वियतनाम, स्विट्जरलैंड और सिंगापुर ने लगातार अपने विदेशी मुद्रा विनिमिय बाजार में दखल दिया है. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि वियतनाम और स्विट्जरलैंड ने संभावित रूप से अनुचित मुद्रा दस्तूर या अतिशय बाहरी असंतुलन की पहचान की है जिनका अमेरिका की तरक्की पर असर पड़ा है या जिन्होंने अमेरिकी कामगारों और कंपनियों को नुकसान पहुंचाया है. 

अमेरिकी कारोबारों की रक्षा के लिए कदम!

अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन टी म्नुचिन ने कहा, 'वित्त मंत्रालय ने अमेरिकी कामगारों और कारोबारों के आर्थिक तरक्की तथा अवसरों की रक्षा के लिए आज एक मजबूत कदम उठाया है.'

अमे​रिकी वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दस देशों पर खास निगरानी रखने की जरूरत है और ताइवान, थाइलैंड तथा भारत को इस सूची में जोड़ा जा रहा है.  

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गौरतलब है कि रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 की दूसरी छमाही में भारत द्वारा विदेशी मुद्रा की खरीद में तेजी आयी है. इसी तरह 2020 की पहली छमाही में भी भारत ने शुद्ध रूप से विदेशी मुद्रा की खरीद बनाए रखी है. 
 

 

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