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Tariff War: ट्रंप की इस चाल से भारत को होगा भारी नुकसान, लेकिन सस्ते हो जाएंगे ये सारे सामान!

American Products tariff: भारत में अमेरिकी सामानों पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी कई बार विवाद की वजह बनी है. अमेरिका लंबे समय से भारत से कहता आ रहा है कि वो अपने आयात शुल्क को कम करे जिससे अमेरिकी कंपनियों को फायदा हो सके.

Tariff Side Effect Tariff Side Effect
आदित्य के. राणा
  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 8:46 AM IST

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर एक बड़ा बदलाव होने की संभावना बढ़ती जा रही है. दोनों देशों के बीच टैरिफ यानी आयात शुल्क में कटौती को लेकर बातचीत जारी है. नए व्यापार समझौते के बाद अगर अमेरिका से आने वाले कुछ खास सामानों पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम होती है तो भारतीय बाजार में ये प्रोडक्ट पहले से सस्ते हो सकते हैं. इससे लोगों को तो सस्ते अमेरिकी सामान मिल सकते हैं. लेकिन कई सेक्टर्स पर भी इसका गहरा असर नजर आ सकता है. दरअसल, भारत में अमेरिकी सामानों पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी कई बार विवाद की वजह बनी है. अमेरिका लंबे समय से भारत से कहता आ रहा है कि वो अपने आयात शुल्क को कम करे जिससे अमेरिकी कंपनियों को फायदा हो सके. दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर जारी बातचीत के बाद कुछ खास प्रोडक्ट्स पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम करने की संभावना है. 

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क्यों सस्ते होंगे अमेरिकी सामान?
अमेरिका और भारत के बीच चल रही टैरिफ की जंग अब एक नए मोड़ पर पहुंच गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की बात कही है, यानी अगर भारत अमेरिकी सामानों पर ज्यादा टैक्स लगाएगा तो अमेरिका भी भारतीय सामानों पर उतना ही टैक्स लगाएगा. फिलहाल भारत में अमेरिकी सामानों पर 110% तक इम्पोर्ट ड्यूटी लगती है. ट्रंप चाहते हैं कि भारत इस टैक्स को कम करे जिसके बाद कुछ अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर ड्यूटी घटाने पर विचार किया जा रहा है. अगर ऐसा होता है तो देश में कई अमेरिकी सामान सस्ते हो सकते हैं. 

सस्ते होंगे अमेरिकी सामान!
भारत जिन उत्पादों पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम कर सकता है उनमें इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, स्टील, इंजन, टायर, स्पेयर पार्ट्स, मेडिकल इक्विपमेंट, बादाम, अखरोट, वाइन जैसे कुछ खाद्य पदार्थ शामिल हो सकते हैं. 

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अगर ऐसा होता है तो आईफोन, लैपटॉप, स्मार्टवॉच, गाड़ियों के स्पेयर पार्ट्स और हेल्थकेयर से जुड़े प्रोडक्ट्स भारत में पहले से सस्ते हो सकते हैं. इसके अलावा हार्ले डेविडसन जैसी महंगी मोटरसाइकिलें भी भारत में कम कीमत पर मिलेंगी. इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में एप्पल, डेल और ह्यूलेट-पैकार्ड जैसी अमेरिकी कंपनियों के उत्पाद सस्ते हो सकते हैं. 

चीज और बटर जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स के दाम भी यहां पर घट जाएंगे. अगर ये प्रोडक्ट्स सस्ते होते हैं तो इससे आम ग्राहकों को राहत मिलेगी और भारतीय बाजार में इनका इस्तेमाल बढ़ सकता है. 

सस्ते अमेरिकी सामानों का असर!
अमेरिकी सामानों पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम होने का असर भारतीय उद्योगों पर भी पड़ सकता है. अगर इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स सस्ते होते हैं तो भारतीय कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है क्योंकि इनमें विदेशी ब्रांड्स को बढ़त मिलेगी. इसी तरह अगर ऑटो पार्ट्स सस्ते होते हैं तो भारतीय ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को नुकसान हो सकता है. इसके अलावा फार्मा सेक्टर और डेयरी इंडस्ट्री पर भी दबाव बढ़ेगा. लेकिन अगर सरकार ने सही बैलेंस बनाया तो भारतीय ग्राहकों को फायदा दिलाने के साथ ही लोकल इंडस्ट्री को भी नुकसान से बचाया जा सकता है. 

इतना ही नहीं, इससे भारत और अमेरिका के रिश्ते बेहतर होने के अलावा दोनों देशों के बीच व्यापार भी बढ़ेगा. भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर पिछले कुछ बरसों से चल रहा है. अमेरिका ने भारतीय स्टील और एल्युमिनियम पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया था जिसके जवाब में भारत ने भी अमेरिकी सामानों पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी थी. इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था. 

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सरकार का क्या प्लान?
सरकार अभी इस मुद्दे पर गहन मंथन कर रही है. भारत चाहता है कि अमेरिका भी अपने बाजार में भारतीय उत्पादों को और ज्यादा जगह दे और वहां एक्सपोर्ट बढ़े. सरकार की कोशिश रहेगी कि भारतीय इंडस्ट्री को नुकसान ना हो और ग्राहकों को भी राहत मिले. ऐसे में अगर दोनों देशों के बीच सही समझौता होता है तो आने वाले दिनों में भारतीय बाजार में सस्ते अमेरिकी प्रोडक्ट्स देखने को मिल सकते हैं. इस पूरे मामले में भारत सरकार की भूमिका अहम होगी. 

सरकार को भारतीय उद्योगों को सपोर्ट करने के लिए कदम उठाने होंगे जिससे वो अमेरिकी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें. वहीं, ग्राहकों को सस्ते उत्पाद मिलने से उनके खर्च में कमी आ सकती है जो महंगाई के इस दौर में एक राहत की बात होगी. साथ ही, भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में सुधार की उम्मीद है जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

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