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क्‍यों 10 महीने के निचले स्‍तर पर विदेशी मुद्रा भंडार? एनालिस्ट बोले- पूर्व RBI गवर्नर हैं जिम्‍मेदार!

एनालिस्‍ट ने पूर्व आरबीआई गवर्नर को जिम्‍मेदार ठहराते हुए कहा, 'भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) 10 महीने के निचले स्तर 640 अरब डॉलर पर आ गया है, जो ऑल टाइम हाई लेवल से 70 अरब डॉलर नीचे है.

पूर्व आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास पूर्व आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली ,
  • 12 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 10 महीने के निचले स्तर 634 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. यह अपने ऑल टाइम हाई लेवल से 70 अरब डॉलर गिर चुका है. जिसे लेकर एक प्रोमिनेटे मार्केट एनालिस्‍ट और SBI म्‍यूचुअल फंड के पूर्व इक्विटी हेड संदीप सभरवाल का कहना है कि फॉरेक्‍स एक्‍सचेंज रिजर्व में गिरावट और अर्थव्यवस्‍था (Economy) के स्‍लोडाउन होने के जिम्‍मेदार पूर्व भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर शक्तिकांत दास की नीतियां हैं. 

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बिजनेस टुडे पर छपी खबर के मुताबिक, सभरवाल ने अपनी ये बात रखने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स पर रखी है. उन्होंने पूर्व आरबीआई गवर्नर को जिम्‍मेदार ठहराते हुए कहा, 'भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) 10 महीने के निचले स्तर 640 अरब डॉलर पर आ गया है. यह अब तक के उच्चतम स्तर से लगभग 70 बिलियन डॉलर कम है. पिछले RBI गवर्नर की नीतियों जिसमें उन्होंने INR (रुपया) को स्थिर रखा और जब डॉलर सभी मुद्राओं के मुकाबले तेजी से बढ़ रहा था, तब स्पॉट और फॉरवर्ड USD बिक्री के माध्यम से विशाल विदेशी मुद्रा भंडार को बर्बाद किया, ने यह स्थिति पैदा किया है.'

उन्होंने आगे कहा, 'दास ने विकास को भी बढ़ा-चढ़ाकर बताया और कैश को सीमित रखा और ब्याज दरें ऊंची रखीं, जिस कारण अर्थव्यवस्था में मंदी आई. बहुत से लोगों ने उनकी बहुत तारीफ और लेकिन उनकी नीतियां सही नहीं थीं, जिसका खामियाजा अब देश को भुगतना पड़ रहा है.' 

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शक्तिकांत दास के कार्यकाल के दौरान RBI ने वैश्विक उथल-पुथल के बीच रुपये को स्थिर करने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में आक्रामक हस्तक्षेप किया. हालांकि इन कार्रवाइयों की तत्काल स्थिरता प्रदान करने के लिए व्यापक रूप से प्रशंसा की गई, आलोचकों का तर्क है कि इसके लिए उन्हें कीमत चुकानी पड़ी, जिससे भंडार कम हो गया और महत्वपूर्ण अवधि के दौरान लिक्विडिटी कम हो गई. 

India's Forex Reserves crash to a 10 month low of $ 640 billion
Nearly $ 70 billion off all time highs

The previous RBI Governors foolish policy of keeping the INR Stable and wasting huge Forex Reserves via spot and forward USD sales when the Dollar was in a tearaway rally…

— sandip sabharwal (@sandipsabharwal) January 11, 2025

मार्केट एनाल‍िस्‍ट ने कहा कि दास के कार्यकाल के दौरान, आरबीआई ने रुपये को अस्थिरता से बचाने के लिए हाजिर और वायदा बाजारों में अपने विदेशी मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा बेचा. इस नजरिए ने शॉर्ट टर्म में स्थिरता प्रदान करने के लिए प्रशंसा प्राप्त की, लेकिन इसके लॉन्‍गटर्म प्रभावों के लिए इसकी आलोचना भी हुई. 

अभी देश का विदेशी मुद्रा भंडार कितना है? 
भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार पांचवें सप्ताह गिरकर 3 जनवरी तक 634.59 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है. सितंबर के अंत में दर्ज किए गए अपने ऑल टाइम हाई लेवल 704.89 बिलियन डॉलर से भंडार में करीब 70 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है. 

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लगातार क्‍यों गिर रहा रुपया? 
वहीं अभी रुपया लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है, शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 85.9650 पर बंद हुआ, जबकि सत्र के दौरान यह कुछ समय के लिए 85.97 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था. यह लगातार दसवीं बार साप्ताहिक गिरावट है, जो मजबूत डॉलर और भारत की आर्थिक वृद्धि में कमी के कारण कैश फ्लो में कमी के कारण हुई है. 

भारत के लिये क्‍या है चिंता? 
नोमुरा के विश्लेषकों ने कहा कि आरबीआई के हस्तक्षेप से अनजाने में कैपिटल ऑउटफ्लो और "डॉलर जमाखोरी" में वृद्धि हो सकती है क्योंकि बाजार सहभागियों को रुपये के और अधिक गिरावट की आशंका है. भारत की आर्थिक प्रगति में भी कमी आ सकती है, क्‍योंकि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.4% रहने का अनुमान लगाया है, जो चार वर्षों में सबसे कम है. 

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