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Father's Day: Anand Mahindra हुए भावुक, बोले-'पापा का वेलकम बैक करने एयरपोर्ट जाना चाहता हूं!'

हाल में आनंद महिंद्रा ने अपने पिता से जुड़े कुछ पत्र शेयर किए थे. दरअसल ये पत्र नहीं, बल्कि उनके पिता की वो चिट्ठियां हैं जो उन्होंने 1945 में फ्लेचर स्कूल में अपने एडमिशन के लिए लिखी थीं. उनके पिता हरीश महिंद्रा फ्लेचर स्कूल से ग्रेजुएट होने वाले पहले भारतीय थे.

आनंद महिंद्रा ने पिता के साथ वाली फोटो शेयर की आनंद महिंद्रा ने पिता के साथ वाली फोटो शेयर की
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 जून 2022,
  • अपडेटेड 10:05 AM IST
  • विदेश सेवा में जाना चाहते थे महिंद्रा के पिता
  • कुछ दिन पहले शेयर की थी पिता की चिट्ठियां

महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra) के प्रमुख आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) अक्सर सोशल मीडिया पर कई फनी पोस्ट शेयर करते रहते हैं. बहुत कम ऐसे मौके होते हैं जब वह भावुक होते हैं. रविवार को फादर्स डे के मौके पर उन्होंने अपने पिता की यादों से जुड़ी एक पोस्ट की है. साथ में लिखा है-उनका मन करता है कि वो अपने पिता को वेलकम बैक करने एक बार फिर एयरपोर्ट जाएं.

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दरअसल उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा है-जब मैं बच्चा था, तब मेरे लिए अपने पिता को एयरपोर्ट छोड़ने जाना और बिजनेस ट्रिप से लौटने पर उनका वेलकम करने जाना हमेशा स्पेशल होता था. आज फादर्स डे के मौके मुझे लगता है कि काश मैं एक बार फिर उन्हें वेलकम बैक करने एयरपोर्ट जा सकता.

आनंद महिंद्रा की पोस्ट

कुछ दिन पहले शेयर की थी पिता की चिट्ठियां
हाल में आनंद महिंद्रा ने अपने पिता से जुड़े कुछ पत्र शेयर किए थे. दरअसल ये पत्र नहीं, बल्कि उनके पिता की वो चिट्ठियां हैं जो उन्होंने 1945 में फ्लेचर स्कूल (Anand Mahindra Father Studied at Fletcher School) में अपने एडमिशन के लिए लिखीं थीं. ये चिट्ठियां 75 साल तक गोपनीय रखी गई थीं और पिछले साल ही इन्हें सार्वजनिक किया गया. आनंद महिंद्रा को ये चिट्ठियां फ्लेचर स्कूल में उनके Class Day Address के दौरान सौंपी गईं. आनंद महिंद्रा के पिता (Anand Mahindra Father) हरीश महिंद्रा (Harish Mahindra) फ्लेचर स्कूल से ग्रेजुएट होने वाले पहले भारतीय थे.

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आनंद महिंद्रा के पिता की एप्लीकेशन

विदेश सेवा में जाना चाहते थे आनंद महिंद्रा के पिता
आनंद महिंद्रा के पिता से जुड़े दस्तावेजों से पता चलता है कि वो भारतीय विदेश सेवा में जाना चाहते थे. उन्होंने अपने आवेदन पत्र में लिखा था- मैंने अपने प्रोफेशनल लक्ष्यों के लिए विदेश सेवा का चयन किया है, क्योंकि मेरे देश को अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकारी रखने वाले लोगों की बहुत जरूरत है. अभी भारत की कोई अपनी विदेश नीति नहीं है. इस युद्ध (World War II) के बाद अगर भारत को डोमिनियन स्टेटस या पूर्ण स्वतंत्रता मिलती है, तो उसे विदेश नीति में प्रशिक्षित लोगों की जरूरत पड़ेगी ताकि वह दुनिया के अन्य देशों के साथ दोस्ताना और आर्थिक संबंध स्थापित कर सके.

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