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NCAER की रिपोर्ट- सभी सरकारी बैंकों को प्राइवेट कर देना चाहिए, केवल रहे एक SBI

दो दिग्गज अर्थशास्त्रियों ने पॉलिसी पेपर में लिखा है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को छोड़कर बाकी सभी बैकों का निजीकरण कर देना चाहिए. दोनों अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकारी बैंकों के मुकाबले प्राइवेट बैकों का ऑपरेशन काफी बेहतर है.

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (फाइल फोटो) स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 10:46 PM IST
  • सरकारी बैंकों का प्रदर्शन खराब
  • बैंकों के काम करने के तरीके में आएगा सुधार

सरकार देश में प्राइवेटाइजेशन (Privatisation) की तरफ कदम बढ़ा रही है. इसी क्रम में सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन का रास्ता साफ हो चुका है. सरकार जल्द ही बैंकों के नाम का ऐलान कर सकती है. देश में फिलहाल 12 सरकारी बैंक (PSB) हैं. इनमें IDBI के अलावा दो और बैकों का निजीकरण होना तय है. इस बीच नीति आयोग से पूर्व चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया (Arvind Panagariya) और एनसीएईआर (NCAER) की महानिदेशक और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य पूनम गुप्ता (Poonam Gupta) ने पॉलिसी पेपर लिखा है. इसमें उन्होंने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को छोड़कर बाकी सभी बैकों का निजीकरण कर देना चाहिए.

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सभी बैंकों पर लागू होती है पॉलिसी

अपनी पॉलिसी पेपर में उन्होंने लिखा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) का निजीकरण किया जाना चाहिए. केवल SBI को उसके बेहतर प्रदर्शन के कारण प्राइवेटाइजेशन से दूर रखना चाहिए. दोनों अर्थशास्त्रियों के अनुसार सैद्धांतिक रूप से हमने जो निजीकरण की रिपोर्ट तैयार की है, वो एसबीआई सहित सभी पब्लिक सेक्टर के बैकों पर लागू होती है.

लेकिन हम मानते हैं कि भारतीय आर्थिक ढांचे और राजनीतिक सिस्टम के भीतर कोई भी सरकार अपने पोर्टफोलियो में एक भी सरकारी बैंक के बिना नहीं रहना चाहेगी. इसे ध्यान में रखते हुए एसबीआई के अलावा अन्य सभी पब्लिक सेक्टर के बैंकों का निजीकरण करना चाहिए.

स्टेट बैंक का भी कर देना चाहिए निजीकरण

उन्होंने आगे लिखा है कि बेशक अगर कुछ साल बाद हालात निजीकरण के लिए और अधिक अनुकूल हो जाते हैं, तो गोलपोस्ट में बदलाव कर एसबीआई को भी निजीकरण सूची में शामिल कर देना चाहिए. उनका कहना है कि सरकारी बैंकों के मुकाबले प्राइवेट बैकों का ऑपरेशन काफी बेहतर है.

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ऐसे में अगर सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन कर दिया जाता है, तो इनके काम करने के तरीके में भी सुधार आएगा. अगर सरकारी बैंकों की बात करें, तो एसेट्स और इक्विटी के आधार पर प्राइवेट बैंकों के मुकाबले ये कमजोर हैं. डिपॉजिट और एडवांस लोन के मामले में प्राइवेट बैंक सरकारी बैकों से आगे निकल गए हैं.

दो बैंको का जल्द हो सकता है निजीकरण

सरकार ने दो बैंकों के निजीकरण का ऐलान कर दिया है. अब ये दो बैंक कौने से होने चाहिए, इसपर दोनों लेखकों ने लिखा कि पिछले पांच साल में जिन बैंकों का एसेट और इक्विटी पर रिटर्न सबसे अधिक है. साथ ही NPA सबसे कम है. उसका निजीकरण सबसे पहले कर देना चाहिए. क्योंकि अगर सरकार की हिस्सेदारी कम होगी तो उसका प्राइवेटाइजेशन करना आसान होगा.

कौन से बैंक का होगा निजीकरण

पिछली बार बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 22 में आईडीबीआई बैंक के साथ दो पब्लिक सेक्टर के बैकों के निजीकरण की घोषणा की थी. खबर है कि नीति आयोग ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक के निजीकरण का सुझाव दिया है. हालांकि, सरकार की ओर से बैंकों के नाम पर अभी कुछ भी नहीं कहा गया है.

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