
फिनटेक कंपनी भारत-पे (Bharatpe) के को-फाउंडर अशनीर ग्रोवर और विवादों का नाता खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अब वे एक नए विवाद में फंस गए हैं. दरअसल, उन्होंने EaseMyTrip के को-फाउंडर को एंप्लाईज को दिहाड़ी मजदूर की तरह काम पर रखने का जो सुझाव दिया है, उसे लेकर सोशल मीडिया पर वो ट्रोल हो गए हैं.
इस मुद्दे से शुरू हुआ विवाद
हायरिंग और रिक्रूटमेंट का मुद्दा हाल के दिनों में गर्माया हुआ है. ताजा मामला EaseMyTrip के को-फाउंडर प्रशांत पिट्टी के ट्वीट का है, जिसमें उन्होंने ऐसे कैंडिडेट्स को लेकर अपनी भड़ास निकाली, जो किसी भी कंपनी से लंबी हायरिंग प्रोसेस पूरी होने और ऑफर लेटर मिलने के बाद ऐन मौके पर ज्वाइन करने से मना कर देते हैं. इसे लेकर पिट्टी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ऐसे ही एक कैंडिडेट की व्हाट्सऐप चैट का स्क्रीनशॉट शेयर किया और पूछा कोई इसका समाधान बता सकता है क्या?
प्रशांत पिट्टी किया था यह पोस्ट
प्रशांत पिट्टी ने ट्विटर पर उस वाट्सऐप चैट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है, जिसमें उनकी कंपनी में सेलेक्ट हुए एक कैंडिडेट ने किसी दूसरी कंपनी से बेहतर मौका मिलने की बात कहते हुए EasyMyTrip ज्वाइन करने से मना कर दिया. इस पर बिफरे कंपनी के को-फाउंडर प्रशांत ने स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा कि किसी कैंडिडेट की हायरिंग प्रोसेस में लंबा समय लग जाता है. सेलेक्ट करने के बाद या कैंडिडेट के ऑफर लेटर एक्सेप्ट करने के बाद भी कंपनी उसकी ज्वाइनिंग के लिए निश्चिंत होकर कई दिन या महीने इंतजार करती है.
अशनीर ग्रोवर ने दिया था ये सुझाव
प्रशांत पिट्टी के इस ट्वीट पर कई ट्विटर यूजर्स ने अपने कमेंट किए और उन्होंने इस समस्या को सुलझाने के उपाय उदाहरण देते हुए बताए. लेकिन EaseMyTrip के को-फाउंडर प्रशांत के ट्वीट पर अशनीर ग्रोवर का रिप्लाई सुर्खियां बन गया. दरअसल, अशनीर ने लिखा, 'प्रशांत, भारत में कांट्रैक्ट की कोई वैल्यू नहीं है और भारत का कानूनी सिस्टम इतना खर्चीला और टूटा हुआ है कि न तो कैंडिडेट्स के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की जा सकती है और न ही कैंडिडेट्स कंपनी के खिलाफ ऐसा कर सकता है.
उन्होंने कहा कि भारत में तो 'एक हाथ ले दूसरे हाथ दे' वाला सिस्टम काम करता है. अशनीर ग्रोवर ने आगे लिखा कि प्रशांत, आप अपनी उम्मीदें कम रखें, सैलरीड एंप्लाईज की आड़ में दैनिक मजदूरों को काम पर रखें. बस फिर क्या था एंप्लाईज को दिहाड़ी मजदूर कहना अशनीर ग्रोवर को महंगा पड़ गया और ट्विटर यूजर्स ने उन्हें निशाने पर ले लिया.
ट्विटर यूजर्स ने दीं ऐसी प्रतिक्रियाएं
अशनीर की इस टिप्पणी पर एक यूजर ने लिखा है कि एंप्लाईज को दैनिक मजदूरों की तरह रखेंगे तो वैसा ही रिजल्ट मिलेगा. एक अन्य यूजर ने लिखा, कंपनियां चाहती हैं कि एंप्लाई एक महीने से भी कम समय में ज्वाइन कर ले, लेकिन खुद नौकरी छोड़ने से पहले तीन महीने का नोटिस देने का नियम बना देते हैं. अशनीर को रिप्लाई करते हुए एक यूजर ने पूछा कि अगर किसी एंप्लाई को बेहतर अवसर मिल रहा है, तो वह वहां क्यों नहीं जाएगा.