
इस साल के आखिर में देश के चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि सियासी दल राज्यों के वोटरों को लुभाने के लिए लोकलुभावने वादे करेंगे. नेता चुनावी मंचों से और राजनीतिक दल अपने मेनिफेस्टो में मुफ्त बिजली और राशन जैसी स्कीमों की पेशकश वोटरों को आकर्षित करने के लिए करेंगी. हाल ही में संपन्न कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में भी कुछ ऐसा कुछ देखने को मिला. ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले समझ लेते हैं कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना की वित्तीय स्थिति कैसी है.
कर्नाटक में कांग्रेस को सरकार बनाने का जनादेश मिला है. कांग्रेस ने कर्नाटक की जनता से पांच योजनाओं को लागू करने का वादा किया है.
कांग्रेस ने इन योजनाओं को लागू करने की गांरटी दी है.
1. 'गृह ज्योति', इसके तहत प्रत्येक घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी.
2. 'गृह लक्ष्मी' - परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को 2,000 रुपये दिया जाएगा.
3. 'अन्न भाग्य' हर महीने बीपीएल परिवारों के प्रत्येक सदस्य को 10 किलो चावल मुफ्त दिया जाएगा.
4. 'युवा निधि' - बेरोजगार ग्रेजुएट को 3,000 रुपये और बेरोजगार डिप्लोमा डिग्री वालों को दो साल तक (18-25 आयु वर्ग में) के लिए 1,500 रुपये देने का वादा कांग्रेस ने किया है.
5.'शक्ति' - राज्य की बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा.
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना चार चुनावी राज्य हैं जो इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव के लिए तैयार होंगे. इन चार राज्यों की वित्तीय स्थिति की जांच करने के लिए बीटी रिसर्च ब्यूरो ने इकोनॉमी की साइज, प्रति व्यक्ति आय, राज्य ऋण, टैक्स रेवेन्यू, कैपिटल एक्पेंडिचर और राजकोषीय घाटे के आंकड़ों जैसे प्रमुख मापदंडों की एक सूची तैयार की है.
ग्रॉस स्टेट डॉमेस्टिक प्रोडक्ट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इन राज्यों के बजट और आर्थिक सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मौजूदा कीमतों पर वित्त वर्ष 23 में 14.13 लाख करोड़ रुपये की ग्रॉस स्टेट डॉमेस्टिक प्रोडक्ट के साथ (GSDP) के साथ राजस्थान इन चार राज्यों में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इसके बाद तेलंगाना का 13.27 लाख करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश का GSDP 13.23 लाख करोड़ रुपये और छत्तीसगढ़ का GSDP 4.38 लाख करोड़ रुपये है.
कैपिटल एक्सपेंडिचर (कैपेक्स)
स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों, पुलों, सड़कों, हवाई अड्डों आदि के निमार्ण में खर्च होने वाली राशि को कैपिटल एक्सपेंडिचर माना जाता है. वित्तीय वर्ष 23 में 45,685 करोड़ रुपये के कैपेक्स के साथ मध्य प्रदेश चारों राज्यों में टॉप पर है. ये मध्य प्रदेश के कुल खर्च का18.4 फीसदी है. इसके बाद छत्तीसगढ़ 15,241 करोड़ रुपये (कुल खर्च का 14.7 प्रतिशत), तेलंगाना का कैपेक्स 29,728 करोड़ रुपये (कुल खर्च का 11.6 फीसदी) और राजस्थान का कैपेक्स 24,152 करोड़ रुपये है, जो उसके कुल खर्च का 10.3 फीसदी है. हाई कैपेक्स इस बात के संकेत देता है कि राज्य अधिक विकास के कार्य करने में सक्षम है.
प्रति व्यक्ति आय
प्रति व्यक्ति आय GSDP की तुलना में राज्य के वेल्थ का बेहतर संकेत देती है. वित्त वर्ष 23 में आय के मामले में तेलंगाना 3.17 लाख रुपये के साथ इस सूची में सबसे अमीर राज्य है. इसके बाद राजस्थान 1.56 लाख रुपये, मध्य प्रदेश 1.41 लाख रुपये और छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति आय 1.34 लाख रुपये रही है.
रेवेन्यू
इन चारों राज्यों में रेवेन्यू के मोर्चे पर 1,95,179 करोड़ रुपये के साथ मध्य प्रदेश टॉप पर है. इसके बाद तेलंगाना 1,93,029 करोड़ रुपये, राजस्थान 1,83,920 करोड़ रुपये और छत्तीसगढ़ ने 89,073 करोड़ रुपये का राजस्व वित्त वर्ष 23 में प्राप्त किए.
GSDP के अनुपात में कर्ज
राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में छत्तीसगढ़ पर सबसे कम कर्ज है. छत्तीसगढ़ पर GSDP के अनुपात में 17.9 फीसदी कर्ज है. इसके बाद तेलंगाना (24.7 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (26.3 प्रतिशत) और राजस्थान पर जीएसडीपी के अनुपात में 38 फीसदी कर्ज है. GSDP के अनुपात में अधिक कर्ज राज्य के वित्तीय हेल्थ के लिए ठीक नहीं है. क्योंकि कर्ज के ब्याज के भुगतान के बाद राज्य के पास विकास कार्यों के लिए कम संसाधन बचते हैं.
राजकोषीय घाटा
राजकोषीय घाटा तब उत्पन्न होता है जब किसी सरकार का खर्च उसके राजस्व से अधिक होता है. फिर इस अंतर को पाटने के लिए राज्य सरकार को कर्ज लेना पड़ता है. छत्तीसगढ़ का सबसे कम राजकोषीय घाटा 14,600 करोड़ रुपये है, जो कि इसके GSDP का 3.33 फीसदी है. इसके बाद तेलंगाना का राजकोषीय घाटा 52,167 करोड़ रुपये (इसके GSDP का 3.93 प्रतिशत) है. मध्य प्रदेश का राजकोषीय घाटा 52,511 करोड़ रुपये (इसके GSDP का 4 प्रतिशत) है और सबसे अधिक राजस्थान का राजकोषीय घाटा 58,212 करोड़ रुपये (इसके GSDP का 4.12 प्रतिशत) है.
प्रतिबद्ध खर्च
प्रतिबद्ध खर्च के दायरे में सैलरी और वेजेस, पेंशन और ब्याज भुगतान आते हैं. यानी सरकार को ये खर्च किसी भी हाल में करने जरूरी हैं. अगर इसमें बढ़ोतरी होती है, तो विकास कार्यों के लिए वित्तीय स्पेस कम हो जाता है. मध्य प्रदेश इस सूची में सबसे आगे है क्योंकि प्राप्त रेवेन्यू के मुकाबले इसका प्रतिबद्ध खर्च सबसे कम (42.1 प्रतिशत) है, जबकि छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान ने क्रमशः 46.3 प्रतिशत, 48.6 प्रतिशत और 69.2 प्रतिशत खर्च किया है.