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ऑस्ट्रेलिया से कनाडा तक... इन 5 देशों के 10 में से 6 NRI का रिटायरमेंट के बाद भारत रिटर्न का प्लान, ये है वजह

SBNRI Survey में सामने आया है कि भारत में जीवन यापन की लागत (Cost Of Living), स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं (Healthcare Services) और बेहतर निवेश के अवसरों (Investment Opportunities) के चलते तमाम देशों में रहने वाले NRI भारत में वापस आना चाहते हैं.

कई देशों में रहने वाले एनआरआई ने भारत में निवेश करना भी शुरू कर दिया कई देशों में रहने वाले एनआरआई ने भारत में निवेश करना भी शुरू कर दिया
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:02 PM IST

भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था (India Fastest Growing Economy) बनकर उभरा है. विश्व बैंक, आईएमएफ से लेकर तमाम एजेंसियों ने देश के बढ़ते कदमों की सराहना की है और ये ग्रोथ कायम रहने का भरोसा जताया है. स्टार्टअप सेक्टर में दबदबा, निवेश के अवसर और वित्तीय स्थिरता के चलते अब देश छोड़कर विदेशों में रहने वाले ज्यादातर एनआरआई (NRI) रिटायमेंट के बाद वापस भारत में बसने की योजना बना रहे हैं. ये हम नहीं कह रहे, बल्कि एक सर्वे में ये बात सामने आई है, जिसमें पांच देशों में रह रहे भारतीयों में से 60 फीसदी ने ये इच्छा जाहिर की है. 

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रिटायरमेंट के बाद बसने के लिए पहली पसंद भारत
भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) लगभग सभी सेक्टर्स में शानदार प्रदर्शन कर रही है. खासकर कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद भारत ने तेजी से आगे बढ़ते हुए देश में रहने वालों और एनआरआई के लिए वित्तीय रूप से स्थिर बनाना जारी रखा हुआ है. इन सब पहलुओं पर विचार करते हुए अपने सपनों को पूरा करने के लिए विदेश जाने के लिए अपना बैग पैक करने वाले अधिकांश लोग रिटायरमेंट के बाद भारत में बसने का प्लान बना रहे हैं. ये सर्वे SBNRI ने किया है जो कि एक एनआरआई पर फोकस करने वाला फिनटेक प्लेटफॉर्म है. 

60 फीसदी NRI भारत में बसने के इच्छुक 
एसबीएनआरआई के सर्वे में सामने आया कि खास तौर पर पांच देशों में बसे भारतीय रिटायरमेंट के बाद भारत वापस आने का प्लान बना रहे हैं. इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, यूके और सिंगापुर शामिल हैं, जिनमें रह रहे कम से कम 60 फीसदी एनआरआई अपने रिटायरमेंट प्लान के हिस्से के रूप में भारत लौटने पर विचार कर रहे हैं. पिनटेक प्लेटफॉर्म ने आंकड़े पेश करते हुए अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में रह रहे 80 फीसदी एनआरआई, ब्रिटेन (UK) में रहने वाले 70 फीसदी और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) से 75 फीसदी एनआरआई ने देश लौटने की इच्छा जाहिर की है. 

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भारत की ग्रोथ और डेवलपमेंट ने किया आकर्षित
सर्वे से पता चलता है कि भारत के उभरते वित्तीय परिदृश्य और अधिक आकर्षक निवेश अवसर अपने प्रवासी भारतीयों, खासकर ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों में रह रहे एनआरआई के लिए स्थिति को आकर्षक और मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं. ये सभी भारत की ग्रोथ और डेवलपमेंट से खासे उत्साहित हैं. SBNRI के मुदित विजयवर्गीय का कहना है कि भारत ग्लोबल मार्केट में डिजिटलीकृत और स्थिर आर्थिक गतिविधियों के उभरने के साथ मजबूत वापसी कर रहा है. इससे भारत में निवेशकों के लिए एक अच्छा भविष्य नजर आ रहा है.

इसके अलावा देश में एनआरआई पर फोकस करते हुए निवेश और रहने के लिए मौजूदा जटिल प्रणालियों को आसान बनाया गया है. सरकार के इन कदमों के चलते वे भारत के प्रति आकर्षित हो रहे हैं. इसके अलावा भारत एक उभरता हुआ वैश्विक स्टार्ट-अप केंद्र बनकर भी उभरा है. 

रिटायरमेंट प्लान के तहत निवेश हुआ स्टार्ट
भारत अपने एनआरआई को जो फाइनेंशियल बेनेफिट्स दे रहे है, वह काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये उन्हें फॉरेन करेंस में कमाई करने और अपनी आय को भारत में निवेश करने के अलावा इसे सेविंग में परिवर्तित करने की अनुमति देता है. SBNRI सर्वे के निष्कर्षों से पता चलता है कि अमेरिका के 56 फीसदी, कनाडा के 44 फीसदी, यूके के 35 फीसदी और सिंगापुर के 45 फीसदी एनआरआई ने रिटायर होने के बाद भारत लौटने के अपने फैसले का समर्थन करने के लिए देश में इन्वेस्टमेंट करना भी शुरू कर दिया है. 

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इन कारणों के चलते भारत लौटने का प्लान
इस सर्वे को लेकर जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की ग्रोथ और कुछ हद तक जीवन यापन की लागत (Cost Of Living), सांस्कृतिक परिचितता (Cultural Familiarity), पारिवारिक और सामाजिक संबंध (Family and Social Connections), स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं (Healthcare Services) और निवेश के अवसरों (Investment Opportunities) को इन देशों में रह रहे एनआरआई के भारत में वापस आकर बसने के प्लान के लिए बड़ी वजह माना जा सकता है. 

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