
कनाडा और भारत के बीच तनातनी (Canada-India Tension) जारी है और दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है. इस टेंशन का असर भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) में भी दिखाई दे रहा है, लेकिन खास बात ये है कि कनाडा का निवेश (Canada Investment) प्रभावित नहीं हुआ है. सितंबर महीने में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से बड़ी निकासी की है, लेकिन इनमें से कनाडाई आउटफ्लो का कोई संकेत नहीं मिला है. यानी कनाडा चाहकर भी भारतीय बाजार को छोड़ने के लिए तैयार नही है और इसके पीछे कारण भी कई हैं.
कनाडा से जुड़ी बिक्री के संकेत नहीं
भारतीय स्टॉक एक्सचेंज (Indian Stock Exchange) के पास मौजूद ब्लॉक डील के आंकड़ों से अब तक कनाडा से जुड़ी बिक्री का कोई बड़ा संकेत नहीं मिला है. ऐसा ऐसे समय में है जबकि कनाडा और भारत के बीच बढ़ते तनाव के बाद से विदेशी निवेशकों द्वारा सितंबर महीने में भारत से 12,000 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की गई है. मार्केट एक्सपर्ट्स की मानें तो कनाडाई आउटफ्लो के कोई स्पष्ट संकेत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हालिया निकासी दरअसल, अमेरिकी फेड (US Fed) की कठोर टिप्पणियों का परिणाम है. उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार इक्विटी और निश्चित आय परिसंपत्तियों पर जो आकर्षक यील्ड देता है, वह बेजोड़ है. यही कारण है कि कनाडा भी अपने निवेश को यहां से बाहर करना नहीं चाहता है.
भारतीय बाजार से जोरदार रिटर्न
बिजनेस टुडे से बात करते हुए इंडिपेंडेंट मार्केट एनालिस्ट अजय बोडके ने कहा कि बेशक, बीते डेढ़ सप्ताह से कानाडा और भारत का मुद्दा पूरी तरह से गर्माया हुआ है. कनाडाई पेंशन फंड (Canada Pension Fund) भारतीय बाजार में बड़ा निवेश करता है, लेकिन एक बोलचाल का उपयोग करते हुए कहा जाए, तो 'बाप बड़ा ना भैया , सबसे बड़ा रुपैया...'. उन्होंने कहा कि निवेश की दुनिया में, सबसे बड़ी चीज जो मायने रखती है वह है रिटर्न, जो भारतीय बाजार में जोरदार मिलता है.
'कनाडा मुद्दा- चाय की प्याली में तूफान'
अजय बोडके ने कहा कि स्टॉक एक्सचेंजों के जो आंकड़े सामने हैं और इनमें यदि आपने अब तक कनाडाई निवेशकों (Canadian Investors) की ओर से कोई बिकवाली नहीं देखी है, तो इसके आगे बढ़ने की संभावना अब ज्यादा नहीं है. भारत एक एफपीआई प्रिय है देश है और यह चीन +1 योजना (China +1 Scheme) का एक हिस्सा है. भारत सरकार द्वारा किए गए सुधारों और पीएलआई योजनाओं (PLI Schemes) को जोड़कर देखें तो फिर जो तस्वीर सामने आती है, वह यह है कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था (Fastest Growing Economy) है. बोडके ने कहा कि कनाडा का मुद्दा महज चाय की प्याली में तूफान जैसा है.
कनाडा फंड की कई शेयरों में हिस्सेदारी
भारत और कनाडा दोनों देशों के बीच सालाना कुल द्विपक्षीय व्यापार लगभग 8 अरब डॉलर का है. कनाडा के दो सॉवरेन फंड CPPIB और CDPQ के पास एक दर्जन घरेलू शेयरों में हिस्सेदारी है. डिपॉजिटरी NSDL के मुताबिक, कनाडा में मूल देश के साथ 818 रजिस्टर्ड FPI थे. अगस्त के अंत में, कनाडा के विदेशी निवेशकों ने 1,50,871 करोड़ रुपये का प्रबंधन किया था.
बात करें विदेशी निवेशकों द्वारा सितंबर में की गई बिकवाली की, तो जहां सितंबर में कुल निकासी 12,716 करोड़ रुपये रही, वहीं बीते महीने अगस्त में ये आंकड़ा 12,262 करोड़ रुपये था. ये दोनों ही आंकड़े जून-जुलाई 2023 में हुई निकासी से कहीं ज्यादा कम है, क्योंकि तब निकासी का आंकड़ा 40,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया था. जैसे ही इंडियन इंडस्ट्री सेक्टर शेयरहोल्डिंग पैटर्न का खुलासा करना शुरू करेगा, कनाडाई निवेश की निकासी से जुड़ी पूरी तस्वीर भी साफ हो जाएगी. इसमें एक या दो हफ्ते का समय लग सकता है.