Advertisement

कैसे बना बंधन बैंक? आखिर किस बात पर बोले एमडी- ‘गरीब आदमी वो, जो समय पर कर्ज चुकाता है’

आम तौर पर बैंक से कर्ज लेने के लिए कुछ गिरवी या गारंटी रखना होती है. ऐसे में बैंक गरीब आदमी की पहुंच से दूर हो जाता है. इन्हीं की आर्थिक जरूरतों के लिए चंद्र शेखर घोष ने बंधन बैंक की शुरुआत की थी. घोष का कहना है कि गरीब आदमी वो होता है, जो समय पर कर्ज चुकाता है.

बंधन बैंक (फाइल फोटो) बंधन बैंक (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 5:13 PM IST

लोगों के स्मॉल फाइनेंस की जरूरत को पूरा करने के उद्देश्य से शुरू हुए ‘बंधन बैंक’ की कहानी का आरंभ वहां से होता है, जब चंद्र शेखर घोष (MD & CEO Bandhan Bank) ने एक बार बाजार में एक सब्जी बेचने वाले को स्थानीय महाजन से 500 रुपये उधार लेते देखा. उस महाजन ने उधार देने के साथ ही 5 रुपये ब्याज के तौर पर पहले ही काट लिए, इस 1 प्रतिशत प्रतिदिन के ब्याज ने चंद्र शेखर घोष को चिंता में डाल दिया. इसी के साथ उन्हें आइडिया आया, लोगों की छोटी जरूरतों के लिए छोटे लोन देने का, जो आज बंधन बैंक है.

Advertisement

सब्जी वाले के जवाब ने दिया आइडिया
दरअसल अब उन्होंने सब्जी वाले से इतने महंगे ब्याज पर रुपया लेने की बात पूछी, तो उसके जवाब ने उन्हें हैरान किया. सब्जी बेचने वाले ने उनसे कहा कि कोई भी बैंक उन्हें 500 या 1000 रुपये का लोन नहीं देगा. ये महाजन इतना रुपया उसे उसके काम की जगह पर दे जाता है, यहीं से उसका ब्याज और मूलधन वापस ले जाता है. उसे इसके लिए कहीं आना-जाना नहीं पड़ता, ना कोई दस्तखत और ना ही किसी तरह की गारंटी. वह इस व्यवस्था से खुश था.

बस यहीं से उन्हें लगा कि क्यों ना लोगों को सस्ती ब्याज दर पर छोटे लोन की डोर स्टेप डिलीवरी करनी चाहिए. बिजनेस टुडे के साथ एक बातचीत में बंधन बैंक के एमडी और सीईओ चंद्र शेखर घोष ने ये बात कही. 

Advertisement

बंधन स्मॉल फाइनेंस से बंधन बैंक तक
घोष ने बताया कि उनका छोटे लोन देने का कारोबार पूरी तरह बैंकों से मिलने वाले धन पर निर्भर था. उन्होंने कई बार ब्याज दरें कम करने की कोशिशें की, लेकिन उसकी लागत बहुत ज्यादा थी. उन्हें बताया गया कि बैंक के लाइसेंस के बिना वो सस्ती लागत वाली लोगों की जमा स्वीकार नहीं कर सकते. ऐसे में जब बैंक का लाइसेंस लेने का अवसर उन्हें मिला, उन्होंने इसमें ज़रा भी देरी नहीं की. आज बंधन बैंक देश के 34 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में काम कर रहा है.

‘गरीब समय पर पैसा चुकाता है’
इस सवाल पर कि उनके ग्राहकों (छोटा लोन लेने वाले स्ट्रीट वेंडर्स, अस्थायी काम करने वाले लोग) की आर्थिक अस्थिरता बैंक के लोन कारोबार के लिए ‘हाई-रिस्क’ वाला नहीं है. चंद्र शेखर घोष ने कहा- महामारी शुरू होने से पहले 2020 तक पूरे 22 साल से हम उन्हें अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इस दौरान मुझे केवल 68 करोड़ रुपये बट्टे खाते डालने पड़े. हमने हर तरह की मुश्किलों का सामना किया, लेकिन नुकसान केवल 68 करोड़ रुपये का हुआ.

घोष ने कहा- गरीब आदमी समय पर पैसा रिटर्न करता है. मुझे इन लोगों के पैसा लौटाने पर पूरा विश्वास है. कई बार बस ऐसा होता है कि उन्हें अतिरिक्त समय चाहिए होता है. उन लोगों का कहना होता है कि वो बैंक के साथ 10-15 सालों से जुड़े हैं, थोड़ा समय दे दिया जाए, तो वो रकम लौटा देंगे. इस बात का तर्क भी मुझे समझ आता है. उनके पास विकल्प क्या है, वो कहां जाएंगे...फिर से उसी महाजन के पास? जो उनसे हर महीने 10 टका का ब्याज लेगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement