
देश के 5 पब्लिक सेक्टर्स के बैंकों ( 5 Public Sector Bank) में सरकार की हिस्सेदारी कम हो सकती है. फाइनेंस सर्विस सेक्रेटरी विवेक जोशी ने कहा कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र, IOB और UCO बैंक समेत पांच पब्लिक सेक्टर के बैंक SEBI के मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग मानदंडों का पालन करने के लिए सरकारी हिस्सेदारी को 75 फीसदी से कम करने की योजना बना रहे हैं.
उन्होंने कहा कि 12 पब्लिक सेक्टर के बैंकों (PSB) में से चार 31 मार्च 2023 तक एमपीएस मानदंड़ों का अनुपालन कर रहे थे. वहीं मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान 3 और पब्लिक बैंकों ने मिनिमम 25 प्रतिशत पब्लिक फ्लोट का अनुपालन किया है. बाकी पांच बैंकों ने MPS की आवश्यकता को पूरा करने के लिए सरकारी हिस्सेदारी को कम करने की योजना बना रहे हैं. जल्द ही इन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी कम हो सकती है.
बैंकों के पास कबतक मौका?
पब्लिक सेक्टर के इन बैंकों के पास भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नियम का पालन करने के लिए अगस्त 2024 तक का समय है. बता दें सेबी के निमय के मुताबिक, मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (एमपीएस) मानदंड सभी लिस्टेड कंपनियों के लिए कम से कम 25 प्रतिशत पब्लिक फ्लोट अनिवार्य करता है. इसका मतलब है कि किसी भी कंपनी में रिटेलर्स के लिए हिस्सेदारी 25 फीसदी होनी चाहिए.
क्या है सेबी का नियम?
कुछ पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को अगस्त 2024 तक एमपीएस से छूट दी गई थी. सेबी के निमय के मुताबिक, कंपनियों को लिस्ट होने के तीन साल के भीतर कम से कम 25 फीसदी पब्लिक हिस्सेदारी होनी जरूरी है. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो यह सेबी के नियम के खिलाफ माना जाएगा.
देश में कौन-कौन से पब्लिक सेटर बैंक?
देश में 12 पब्लिक सेटर बैंक हैं. इसमें भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB), बैंक ऑफ इंडिया (BOI), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank Of India), केनरा बैंक (Canara Bank), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank Of India), इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), पंजाब एंड सिंध बैंक, इंडियन बैंक, UCO बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं.