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अचार-मुरब्बा और उन्नत खेती 'किसान चाची' की पहचान, अब नड्डा करेंगे मुलाकात

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा 11 सितंबर से दो दिन के बिहार दौरे पर रहेंगे, इस दौरान वे अचार चाची के घर जाकर उनसे मुलाकात करेंगे.   

किसान चाची की कहानी किसान चाची की कहानी
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 10 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:50 AM IST
  • जेपी नड्डा 'किसान चाची' से मिलेंगे
  • किसान चाची की गिनती आज सफल महिला कृषकों में
  • अपने जैसी हजारों महिलाओं का जीवन संवारा

बिहार के मुजफ्फरपुर की किसान चाची आज देश की हजारों महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं. अब किसान चाची से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने वाले हैं. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा 11 सितंबर से दो दिन के बिहार दौरे पर रहेंगे, इस दौरान वे अचार चाची के घर जाकर उनसे मुलाकात करेंगे. 
 
दरअसल पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत जेपी नड्डा 'किसान चाची' से मिलेंगे, और उनसे अचार बिजनेस के बारे में बात करेंगे. किसान चाची के नाम से मशहूर मुजफ्फरपुर जिले के आनंदपुर गांव की राजकुमारी देवी का जीवन बेहद संघर्ष भरा रहा है. उनके परिवार का खेती मुख्य आय का जरिया था. लेकिन उन्होंने खेती के साथ-साथ अचार बनाने का फैसला किया, फिर उसे बेचने के लिए साइकिल बाजार जाने लगीं, उस समय समाज को ये पसंद नहीं था कि एक महिला साइकिल से घूम-घूमकर अचार बेचे. समाज से ताने सुनने को मिलते थे. 

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कामयाबी की कहानी 

लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि कुछ करके दिखाना है. जब उनका अचार का कारोबार बढ़ गया था तो फिर जो लोग ताने देते थे वही तारीफ में कसीदे पढ़े लगे. आज की तारीख में किसान चाची का प्रोडक्ट विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. 65 साल की किसान चाची की गिनती आज देश की सफल महिला कृषकों में होती है, जिसने अपनी लगन से अपने जैसी हजारों महिलाओं का जीवन संवार दिया. उन्होंने आचार कारोबार को भी एक नया आयाम दिया. 

शुरुआती दिनों में राजकुमारी देवी ने अपने पति के साथ मिलकर खेती के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए. इसके लिए उन्होंने पूसा कृषि विद्यालय से उन्नत कृषि से जुड़ी जानकारियां जुटाईं, और अपने खेतों में धान-गेंहू के बजाय ओल और पपीता लगाया. अच्छी कीमत नहीं मिलने की वजह से उन्होंने सीधे बाजार में बेचने की जगह उसका अचार-मुरब्बा बनाना शुरू कर दिया.

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असली स्वाद किसान चाची के अचार में 

किसान चाची अब 20 से ज्यादा तरह की अचार और मुरब्बा बनाती हैं और इसकी ब्रांडिंग भी खुद करती हैं. उनका कहना है कि तमाम निजी कंपनियों के अचार में भले ही अच्छी पैकिंग मिल जाएं, लेकिन मशीनों से बने स्वाद में दादी और नानी के हाथों का स्वाद नहीं मिलेगा. वह स्वाद केवल किसान चाची के अचार में मिलेगा. 

अब तक किसान चाची 40 से अधिक स्वयं सहायता समूह बना चुकी हैं. वो गांव-गांव घूमकर मुफ्त में किसानों को अपने अनुभव बांटती हैं. सैकड़ों महिलाओं को अच्छी गुणवत्ता का अचार बनाने का प्रशिक्षण दिया. अब किसान चाची के साथ 250 अधिक महिलाएं जुड़ी हैं, जो अचार-मुरब्बा तैयार करती हैं. 

एक सम्मान और नाम हो गया किसान चाची 

किसान चाची को 2006 में किसान सम्मान मिला, तभी से उनका नाम किसान चाची पड़ गया. किसान चाची को 2015 और 2016 में अमिताभ बच्चन ने केबीसी में भी बुलाया था. यही नहीं, नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसी साल किसान चाची को पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा है. 


सफलता का श्रेय
अपनी सफलता का श्रेय वो अपने पति को देती हैं और मानती हैं कि गांव और शहर में महिलाओं को आगे बढ़ने में पुरुषों का योगदान सबसे बड़ा है. तकलीफ और दुख सबकी ज‍िन्दगी में होते हैं, पर कभी भी अपने बुरे वक्त में हार नहीं मानना चाहिए और हर हालात का डट कर सामना करना चाहिए.

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