
भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) के प्राइवेटाइजेशन के लिए सरकार अब कुछ नया करने का सोच रही है. अब तक इसे बेचने के लिए की गई कई कोशिशों में सफलता नहीं मिलने की वजह से अब इस पर नए तरीके से काम करने का विचार बनाया गया है.
बदल सकती हैं सेल की शर्तें
पीटीआई की खबर के मुताबिक सरकार का कहना है कि BPCL के बारे में फिर से विचार करने की जरूरत है. इसके कंसोर्टियम बनाने की शर्तों के मसले को सुलझाया जाना है. साथ ही भू-राजनैतिक हालातों और एनर्जी ट्रांजिशन के पहलू से भी नीति बनानी होगी.
सरकार बीपीसीएल में अपनी पूरी 52.98% की हिस्सेदारी बेच रही है. तीन कंपनियां इसमें अपनी रूचि जता चुकी हैं. इसमें अनिल अग्रवाल का वेदांता समूह भी शामिल है. हालांकि अभी इसके लिए फाइनेंशियल बिड मंगाया जाना अभी बाकी है.
ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन से मुश्किल
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि ग्रीन फ्यूल और रीन्यूएबल एनर्जी की तरफ बाजार का रुख होने से मौजूदा नियम-शर्तों पर BPCL का प्राइवेटाइजेशन मुश्किल है. ऐसे में यदि कोई संभावित खरीदार है तो पूरा शेयर खरीदने के लिए उसे एक बार सोचना होगा. जबकि कंसोर्टियम बनाने के नियमों को आसान बनाने से निवेशकों को मदद मिलेगी.
इस बारे में वित्त मंत्रालय की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई है. ना ही मंत्रालय को भेजे गए ई-मेल का जवाब मिला है.
इतनी है BPCL की वैल्यू
मौजूदा बाजार दर के हिसाब से BPCL में सरकार की 52.98% की हिस्सेदारी 45,000 करोड़ रुपये है. भारत पेट्रोलियम सरकार की एक प्रॉफिटेबल कंपनी है. दिंसबर 2021 में कंपनी की आय 95,000 करोड़ रुपये से अधिक थी. सरकार ने इसके लिए मार्च 2020 में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट आमंत्रित किए थे. नवंबर 2020 तक सरकार को इसके लिए तीन बोलियां मिली. वेदांता ग्रुप के अलावा अपोलो ग्लोबल और स्क्वेयर्ड कैपिटल की इकाई थिंग गैस ने इसमें रुचि दिखाई है.
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