
बिजनेस टुडे के इंडिया@100 समिट के दौरान शुक्रवार को Manufacturing and ESG पर पैनल चर्चा में उद्योग जगत के विशेषज्ञ ने अपनी बात रखी. चैनल के संपादक सौरव मजूमदार के साथ इस बातचीत में Schneider Electric's के अनिल चौधरी, Dalmia Cement के महेंद्र सिंघी समेत अन्य कॉरपोरेट लीडर्स मौजूद रहे.
बड़े कॉरपोरेट्स को हुई परेशानी
इस चर्चा के दौरान Anil Chaudhry ने कहा कि कोरोना महामारी ने बड़े कॉरपोरेट्स को अपनी पूरी आपूर्ति श्रृंखला पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है. कोरोना का प्रकोप कम होने बाद अब भी हम सामान्य नहीं हैं. हालांकि, सरकारी नीतियां वैश्विक कॉरपोरेट्स को भारत को एक विनिर्माण आधार (Manufacturing Base) के रूप में देखने में मदद कर रही हैं.
सरकार के समर्थन की जरूरत
पैनल में शामिल हनीवेल ऑटोमेशन (Honeywell Automation's) के आशीष गायकवाड़ ने कहा कि कई कंपनियां अपने नेट-जीरो टारगेट पर प्रतिज्ञा लेकर आई हैं. उन वादों के बाद बहुत काम किया जाना है जिन्हें इनोवेशन पुश और सरकार के समर्थन की जरूरत है.
MRN ग्रुप के एमडी निरानीवी (NiraniV) ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि स्वच्छ होने का एक फायदेमंद पहलू भी है. हमने अपनी बिजली आयात लागत की भरपाई गोइंग ग्रीन के जरिए की है. इस संवाद में Dalmia Cement के महेंद्र सिंघी ने कहा कि निवेशक जाग गए हैं और अब कंपनियों के सामने सही सवाल खड़े कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कभी-कभी यह इनोवेशन में भी मददगार है.
थिसेनक्रुप इंडस्ट्रीज (Thyssenkrupp Industries) के एमडी और सीईओ विवेक भाटिया ने कहा कि मेक इन इंडिया के लिए एक बहुत मजबूत ईएसजी खेल की आवश्यकता होगी. यह सभी के हित में है और सबसे अच्छी बात यह कि यह लागत नहीं जोड़ रहा है.
कॉरपोरेट सेक्टर पर बुरा असर
बीते दो साल में जब से कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ था, इसकी तगड़ी मार कॉरपोरेट सेक्टर पर पड़ी थी. हालांकि, देश में वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू होने के बाद अब महामारी का संक्रमण कम हो चुका है. लेकिन अभी भी कई क्षेत्रों में इसका असर दिखाई दे रहा है.
दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत ने कोरोना की मार से उबरने में खासी तेजी दिखाई है. इसके साथ ही आज भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है. लेकिन पहले कोरोना और फिर रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते सप्लाई चेन पर पड़े असर को खत्म होने में शायद अभी कुछ वक्त लगेगा.