
देश में स्टार्टअप बूम पर हैं और उन्हें वेंचर कैपिटलिस्ट से काफी वैल्यूएशन और फंडिंग भी लगातार मिल रही है. इस बीच Paytm और Zomato जैसी कंपनियों ने अपने IPO भी मार्केट में लॉन्च किए. इसी को ध्यान में रखते हुए इंफोसिस (Infosys) के फाउंडर एन. आर. नारायण मूर्ति (N. R. Narayana Murthy) ने युवा उद्यमियों (New Startup Entrepreneurs) को कुछ बातें अपनाने के लिए कहा...
'कम का वादा, ज्यादा की डिलीवरी'
बिजनेस टुडे के माइंड रश (BT MindRush) कार्यक्रम में नारायण मूर्ति ने कहा कि हमेशा स्टार्टअप कंपनी को अपने शेयरहोल्डर्स से कम देने का वादा करके ज्यादा डिलीवर (Under Promise, Over Deliver) करने पर फोकस करना चाहिए. इसके दो फायदे होतें हैं, एक तो आप और आपके शेयरहोल्डर्स बुरे वक्त के लिए मानसिक तौर पर तैयार होते हैं. दूसरा जब आप कम का वादा करके लोगों को ज्यादा रिटर्न देते हैं तो कंपनी को लेकर उनका भरोसा बढ़ता है.
'विजन रखें क्लियर, एक लाइन में बता सकें अपना काम'
इसी के साथ उन्होंने यंग एंटरप्रेन्योर्स को कुछ और सफलता के मंत्र भी दिए. उन्होंने कहा कि हर साल वो सैकड़ों पढ़े-लिखे एंटरप्रेन्योर्स से मिलते हैं. इनमें से कई तो देश-विदेश की टॉप युनिवर्सिटी से पढ़े हैं, लेकिन एक कमी उन्हें हमेशा खलती है. एंटरप्रेन्योर्स का अपने प्रोडक्ट या सर्विस को लेकर विजन इतना क्लियर होना चाहिए कि हमेशा सिर्फ एक साधारण से वाक्य में समझा सकें कि वो काम क्या करने जा रहे हैं. ये कैसे बदलाव लाएगा या बाजार में कैसे वैल्यू एडिशन करेगा.
'अपने काम को दूसरों से अलग रखें'
इसी के साथ नारायण मूर्ति ने कहा कि नए बिजनेसमेन को हमेशा ये ध्यान रखना चाहिए कि उसका प्रोडक्ट या सर्विस बाजार में बाकी के कॉम्पिटिटर से कैसे अलग है, क्योंकि अंत में कहीं ना कहीं आप बाजार की कुछ हिस्सेदारी हासिल करने के लिए ही प्रतिस्पर्धा कर रहे होंगे. यानी आपको अपने प्रोडक्ट या सर्विस की यूनिकनेस को बनाए रखना होगा.
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'खुद से उदाहरण सेट करें'
जब कोई एंटरप्रेन्योर कंपनी शुरू करता है तो उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में कंपनी में लोगों का विश्वास बढ़े, आपके एम्प्लॉई आप पर भरोसा करें, इसके लिए आपको कई उदाहरण खुद से सेट करने पड़ते हैं, खासकर के फिजूल खर्च को रोकने और अनुशासन के मामले में. इससे उन्हें ऐसा लगेगा कि अगर ये आपके लिए सही है, तो उनके लिए भी सही होगा. इसे लेकर नारायण मूर्ति ने महात्मा गांधी का एक उदाहरण भी दिया. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी थर्ड क्लास में ट्रैवल किया करते थे, सादा खाना खाते थे और सादा जीवन जीते थे. ऐसा वो इसलिए करते थे क्योंकि उन्होंने भारतीयों की मानसिकता को बेहतर तरीके से समझा.
'वर्क प्रोडक्टिविटी पर करें फोकस'
नारायण मूर्ति ने कहा कि वो किसी कंपनी की सालाना रिपोर्ट पढ़े बिना ही बता सकते हैं कि किसी कंपनी का फ्यूचर कैसा होगा. अगर किसी कंपनी में टाइम की वैल्यू नहीं है तो वो कंपनी कभी ग्रोथ नहीं कर सकती. इसलिए लोगों को हमेशा अपने वर्क कल्चर पर और वर्क प्रोडक्टिविटी पर ध्यान देना चाहिए. इसी के साथ ये भी ध्यान रखना चाहिए कि इनोवेशन सिर्फ कंपनी के मुट्ठीभर लोगों के हाथ में नहीं होना चाहिए. ये कहीं से भी आ सकता है, इसलिए इनोवेशन के लिए दरवाजे खुले रखने चाहिए.'
इसलिए फेल हो रही नई स्टार्टअप कंपनियां
इसी के साथ नारायण मूर्ति ने कई इंडियन स्टार्टअप कंपनियों के फेल होने की वजह भी बताई. उन्होंने कहा कि इंडिया में कंपनी सही से मार्केट रिसर्च नहीं करती. उन्हें भारत में उनके प्रोडक्ट या सर्विस का वास्तविक मार्केट साइज क्या है, इसका अंदाजा ही नहीं होता. इससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है. कंपनी को अच्छा वैल्यूएशन और फंडिंग तो मिल जाती है, लेकिन बाद में जब आईपीओ आता है तो शेयर प्राइस एकदम से नीचे जाता है. आईपीओ आने के हफ्तेभर या महीनेभर बाद ही शेयर प्राइस डूबने लगता है.
किसी भी आईपीओ में 20% रिटेल इंवेस्टर्स और फिर म्यूचुअल फंड इंवेस्टर्स की संख्या अच्छी खासी होती है. ये वो लोग हैं जो बहुत ज्यादा पैसा शेयर बाजार में नहीं लगा सकते और अपनी गाढ़ी कमाई का कुछ हिस्सा आपको देते हैं. ऐसे में शेयर पर निगेटिव रिटर्न उनके साथ गलत होना है.
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