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CEA केवी सुब्रमण्यम ने कहा- त्योहारी सीजन में कई सेक्टर को मिल सकता है बूस्टर पैकेज

देश की GDP में जून तिमाही में करीब 24 फीसदी की गिरावट आई है. इसको देखते हुए जानकार इस बात की मांग करने लगे हैं कि अर्थव्यवस्था के लिए दूसरा राहत पैकेज आना चाहिए. मुख्य आर्थिक सलाहकार के.वी सुब्रमण्यम ने बताया कि सरकार अगले महीने तक एक मिनी राहत पैकेज दे सकती है.

CEA केवी सुब्रमण्यम CEA केवी सुब्रमण्यम
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 08 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST
  • जून तिमाही की GDP में करीब 24% की गिरावट
  • इससे दूसरे राहत पैकेज की उम्मीद बढ़ गई है
  • CEA ने कहा-अगले महीने तक मिनी पैकेज आ सकता है

सरकार त्योहारी सीजन यानी अगले महीने तक इन्फ्रा, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स जैसे सेक्टर को एक मिनी राहत पैकेज दे सकती है. यह पैकेज छोटा तो होगा, लेकिन बूस्टर डोज जैसा होगा. केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के.वी सुब्रमण्यम ने यह जानकारी दी है. 

शॉर्ट टर्म उपाय होंगे 

हमारे सहयोगी प्रकाशन बिजनेस टुडे को दिये एक खास इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए त्योहारी सीजन तक कुछ 'शार्ट टर्म वाले उपाय' किये जा सकते हैं. 

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गौरतलब है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद में जून तिमाही में करीब 24 फीसदी की गिरावट आई है. इसको देखते हुए जानकार इस बात की मांग करने लगे हैं कि अर्थव्यवस्था के लिए दूसरा राहत पैकेज आना चाहिए. सरकार एक दूसरे बड़े राहत पैकेज ला सकती है, लेकिन यह शायद तब तक न हो, जब तक बाजार में कोरोना का टीका नहीं आ जाता. उसके पहले त्योहारी सीजन तक एक छोटे कैप्सूल जैसे डोज यानी मिनी राहत पैकेज की उम्मीद की जा सकती है. 

खपत बढ़ाने पर फोकस 

सुब्रमण्यम ने कहा, 'जिन सेक्टर को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है उनमें खपत बढ़ाने पर फोकस किया जा सकता है. ये ऐसे सेक्टर होंगे जहां उपभोग करने की तरफ झुकाव ज्यादा होता है.' उदाहरण के लिए बुनियादी ढांचा, निर्माण, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स आदि. सुबमण्यम ने कहा कि ये उपाय छोटे जरूर हो सकते हैं, लेकिन उनका 'स्टरॉयड' जैसा असर होगा. 

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बुनियादी ढांचे पर तेज हुआ काम 

बुनियादी ढांचे पर निवेश दोगुना करना भी एक उपाय हो सकता है. सुब्रमण्यम ने बताया, 'करीब 103 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है. जोर इस बात पर है कि उन प्रोजेक्ट्स को पूरा किया जाए जिनका आंशिक काम पूरा हो गया है. इससे निर्माण गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. इससे गुणवत्तापूर्ण खर्च को भी बढ़ावा मिलता है.' 

 

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