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Cabinet: PSUs को मिला एक मौका, बिना पेनाल्टी सरेंडर कर सकेंगे ऐसे कोयला खदान

कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक गुरुवार को हुई थी. उसके बाद आज केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रेस कांफ्रेंस में बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी.

गुरुवार शाम हुई कैबिनेट की बैठक गुरुवार शाम हुई कैबिनेट की बैठक
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 4:27 PM IST
  • गुरुवार को हुई थी कैबिनेट की अहम बैठक
  • फिर से नीलाम होंगे कई कोयला खदान

केंद्रीय मंत्रिमंडल (Cabinet) ने सरकारी कंपनियों को वैसे कोयला खदान सरेंडर करने का एक मौका दिया है, जिनमें अभी तक प्रोडक्शन शुरू नहीं हो पाया है. इस बारे में कोयला मंत्रालय ने कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) के सामने एक प्रस्ताव रखा था. प्रस्ताव में सरकारी कंपनियों को ऐसे कोयला खदान (Coal Mines) बिना पेनाल्टी के सरेंडर करने का वन-टाइम विंडो (One-Time Window) देने की बात की कई थी. सीसीईए ने कल गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अगुवाई में हुई बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.

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कोयला मंत्रालय ने CCEA को दिया था प्रस्ताव

कैबिनेट की बैठक गुरुवार देर शाम हुई थी, लेकिन इसमें लिए गए फैसलों की जानकारी शुक्रवार को दी गई. मीडिया ब्रीफिंग में बताया गया कि सरकारी कंपनियों के पास मौजूद कई कोयला खदानों को रिलीज किया जाएगा और उन्हें नीलामी की मौजूदा नीति के अनुसार फिर से नीलाम किया जाएगा. कोयला मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया था कि सरकारी कंपनियों को बिना प्रोडक्शन वाले कोयला खदानों को बिना कोई कारण बताए और बिना जुर्माना भरे सरेंडर करने का एक बार का मौका दिया जाना चाहिए.

इतने कोयला खदानों में नहीं शुरू हो पाया काम

कैबिनेट की इस मंजूरी से उन कोयला खदानों की फिर से नीलामी संभव होगी, जिन्हें सरकारी कंपनियां या तो डेवलप नहीं कर पाई हैं या डेवलपमेंट में उन्हें दिलचस्पी नहीं है. सरकारी स्टेटमेंट के अनुसार, सरकारी कंपनियों को ऐसे खदान सरेंडर करने के लिए पॉलिसी के पब्लिश होने के बाद तीन महीने तक का समय दिया जाएगा. दिसंबर 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार, सरकारी कंपनियों को 73 कोयला खदान अलॉट किए गए थे, जिनमें 45 अभी तक नॉन ऑपरेशनल हैं. इनमें से 19 कोयला खदानों के मामले में तो ऑपरेशन शुरू करने की डेडलाइन भी समाप्त हो चुकी है.

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चावल फोर्टिफिकेशन पर होंगे इतने खर्च

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त को देश भर में गरीब परिवारों को फोर्टिफाइड चावल के वितरण का ऐलान किया था. इसके लिए चावल को फोर्टिफाइड बनाने में हर साल करीब 2,700 करोड़ रुपये खर्च होंगे. गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह बात बताई. कैबिनेट ने बैठक में सभी सरकारी योजनाओं में फोर्टिफाइड चावल के वितरण को मंजूरी दे दी. मंत्री ने कहा कि चावल के फोर्टिफिकेशन से देश के सभी गरीब नागरिकों को कुपोषण से उबरने में मदद मिलेगी.

 

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