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UPI और रुपे कार्ड पर चार्ज लगाने की सोच रही है सरकार, लेकिन इस शर्त के साथ...

केंद्र सरकार यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और RuPay डेबिट कार्ड द्वारा किए जाने वाले लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) शुल्क फिर से लागू करने पर विचार कर रही है. यह प्रस्ताव बैंकिंग संस्थानों द्वारा शुरू किया गया था.

यूपीआई पेमेंट पर चार्ज यूपीआई पेमेंट पर चार्ज
आजतक बिजनेस डेस्क
  • नई दिल्‍ली ,
  • 11 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST

सरकार यूपीआई को लेकर बड़ी तैयारी में हैं. UPI पर एमडीआर चार्ज को वापस लागू किया जा सकता है. यह चार्ज सिर्फ यूपीआई पर ही नहीं बल्कि Rupay लेनदेन पर भी लागू हो सकता है. अगर ये चार्ज लगाया जाता है तो डिजिटल पेमेंट प्रभावित हो सकता है. 

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और RuPay डेबिट कार्ड द्वारा किए जाने वाले लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) शुल्क फिर से लागू करने पर विचार कर रही है. यह प्रस्ताव बैंकिंग संस्थानों द्वारा शुरू किया गया था. डिजिटल भुगतान को प्रमोट करने के लिए पहले समाप्त किया गया MDR जल्द ही 40 लाख रुपये से अधिक वार्षिक कारोबार वाले व्यापारियों पर लागू हो सकता है. 

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फाइनेंशियल ईयर 2022 के बजट से ही MDR डिस्‍काउंट लागू होने के बाद सरकार एक स्तरीय मूल्य निर्धारण प्रणाली पर विचार कर रही है. इससे बड़े कारोबारियों को अधिक शुल्‍क का सामना करना पड़ेगा, जबकि 40 लाख रुपये से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों को मुफ्त लेनदेन का लाभ मिलता रहेगा.

एक सीनियर बैंकर ने बताया, 'तर्क यह है कि अगर कार्ड मशीन वाले बड़े व्‍यापारी वीजा कार्ड, मास्‍टरकार्ड डेबिट कार्ड और सभी प्रकार के क्रेडिट कार्ड जैसे अन्‍य पेमेंट पर MDR का पेमेंट कर रहे हैं तो वे UPI और RuPay कार्ड के लिए चार्ज क्‍यों नहीं दे सकते?  

पहले कितना लगता था एमडीआर चार्ज? 
MDR चार्ज हटाने से पहले, व्यापारी बैंकों को एमडीआर के रूप में लेनदेन राशि का 1% से भी कम भुगतान करते थे. इस शुल्क को बहाल करने का उद्देश्य पेमेंट सिस्‍टम को सभी के लिए बेहतर करना है क्योंकि यूपीआई और रुपे खुदरा भुगतान में प्रमुख हो गए हैं. उद्योग का कहना है कि बड़े व्यापारी पहले से ही अन्य प्लेटफॉर्म पर एमडीआर का भुगतान करने के आदी हैं और यूपीआई और रुपे लेनदेन पर समान शुल्क वहन कर सकते हैं. 

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इस चार्ज को फिर से लागू करने के पीछे एक खास कारण पेमेंट एग्रीगेटर और फिनटेक फर्म की फाइनेंशियल कंडीशन है. एक प्रमुख बैंकर के मुताबिक, पेमेंट कंपनियों को अब पीए ऑनलाइन नियमों के तहत लाया जाता है. उनकी अनुपालन लागत में ज्‍यादा बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में अगर वे पेमेट पर पैसा नहीं कमा सकते हैं तो यह कारोबार अव्‍यवहारिक होगा. 

सरकार ने बैंकों और फिनटेक को दी है सब्सिडी 
उद्योग के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि सरकार ने बैंकों और फिनटेक को ये सर्विस निःशुल्क देने के लिए सब्सिडी दी है, लेकिन भुगतान सब्सिडी के लिए 437 करोड़ रुपये का मौजूदा आवंटन पिछले 3,500 करोड़ रुपये की तुलना में अपर्याप्त है. बैंकों को कथित तौर पर पिछले साल की बकाया सब्सिडी भुगतान का अभी भी इंतजार है. 

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने बताया कि UPI ने फरवरी 2025 में 16 बिलियन लेनदेन की सुविधा दी, जिसकी राशि लगभग 22 लाख करोड़ रुपये थी. 

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