
केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम, कच्चे तेल और विमानन टरबाइन ईंधन पर विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax) बढ़ा दिया है. घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर भी विंडफॉल टैक्स बढ़ा है. सरकार ने टैक्स को 1,700 रुपये (20.55 डॉलर) से बढ़ाकर 2,100 रुपये (25.38 डॉलर) प्रति टन कर दिया है. नई दरें मंगलवार 3 जनवरी से प्रभावी हो गई हैं. सरकार ने डीजल पर निर्यात टैक्स को 5 रुपये से बढ़ाकर 7.5 रुपये प्रति लीटर कर दिया है, जबकि एटीएफ पर विंडफॉल टैक्स 1.5 रुपये से बढ़कर 4.5 रुपये प्रति लीटर हो गया है.
पिछली बार हुई थी कटौती
अपने पिछले बदलाव में केंद्र सरकार ने टैक्स को अप्रत्याशित तौर पर 4,900 रुपये प्रति टन से घटाकर 1,700 रुपये प्रति टन कर दिया था. पेट्रोल पर स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी 'शून्य' पर बिना बदलाव के साथ बना हुआ है. भारत दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातक देशों में से एक है. रिपोर्ट के अनुसार भारत फिलहाल रूस से भारी मात्रा में क्रूड ऑयल खरीद रहा है.
क्या है विंडफॉल टैक्स?
जुलाई 2022 में भारत कच्चे तेल उत्पादकों पर विंडफॉल टैक्स लगाकर उन देशों में शामिल हुआ था, जो एनर्जी कंपनियों के मुनाफे पर टैक्स लगाते हैं. ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल और पेट्रोल, डीजल, एटीएफ जैसे रिफाइनरी उत्पादों के दाम समय के साथ घटते-बढ़ते रहते हैं. विंडफॉल टैक्स एक ऐसा टैक्स है, जिसे उत्पादक पर एक तय सीमा से अधिक के मुनाफे पर लगाया जाता है.
क्यों लगता है विंडफॉल टैक्स?
अगर ग्लोबल मार्केट में डीजल, पेट्रोल और एटीएफ आदि के दाम घरेलू बाजार से ज्यादा हो, तो रिफाइनरियां निर्यात बढ़ाने लगती हैं, ताकि उन्हें ज्यादा मुनाफा हो. सरकार इस पर लगाम लगाने और घरेलू बाजार में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विंडफॉल प्रॉफिट टैक्स लगा देती है.
जुलाई में पहली बार हुआ था लागू
यही हिसाब क्रूड ऑयल के मामले में भी लागू होता है. वहीं जब ग्लोबल मार्केट में इनके भाव कम हो जाते हैं, तो कंपनियां खुद ही एक्सपोर्ट कम करने लगती हैं. ऐसी स्थिति आने पर सरकार विंडफॉल टैक्स को कम करने या हटाने का फैसला लेती है. भारत सरकार ने सबसे पहले एक जुलाई 2022 को विंडफॉल प्रॉफिट टैक्स लगाने का फैसला लिया था.