
आर्थिक संकट से जूझ रही सरकारी टेलीकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर संचार निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के हित में केंद्र सरकार ने एक अहम कदम उठाया है. दरअसल, केंद्र सरकार ने अपने सभी मंत्रालयों, सार्वजनिक विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के लिए इन दोनों टेलीकॉम कंपनियों की सेवाओं के उपयोग को अनिवार्य कर दिया है.
दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, ‘‘भारत सरकार ने अपने सभी मंत्रालयों/ विभागों, सीपीएसई, केंद्रीय स्वायत्त निकायों द्वारा बीएसएनएल और एमटीएनएल की सेवाओं के अनिवार्य रूप से इस्तेमाल की मंजूरी दी है.’’ इसमें कहा गया कि बीएसएनएल और एमटीएनएल की टेलीकॉम सेवाओं के इस्तेमाल को अनिवार्य करने का निर्णय मंत्रिमंडल ने लिया. दूरसंचार विभाग ने सभी मंत्रालयों, विभागों, सीपीएसई और केंद्रीय स्वायत्त संगठनों से कहा है कि वे इंटरनेट, ब्रॉडबैंड, लैंडलाइन और लीज्ड लाइन जरूरतों के लिए बीएसएनएल या एमटीएनएल नेटवर्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करें.
क्या है मकसद
यह आदेश सरकारी दूरसंचार कंपनियों के घाटे को कम करने के लिए दिया गया है, जो तेजी से अपने ग्राहक आधार को खो रहे हैं. बीएसएनएल को 2019-20 में 15,500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, जबकि इस दौरान एमटीएनएल का घाटा 3,694 करोड़ रुपये रहा.
BSNL ने जुटाए 8500 करोड़ रुपये
हाल ही में बीएसएनएल ने सॉवरेन गारंटी बॉन्ड से 8,500 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई है . सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी के पुनरुद्धार के लिए 8,500 करोड़ रुपये के सॉवरेज गारंटी बांड की मंजूरी दी थी. बीएसएनएल को इसके लिए 17,183 करोड़ रुपये की 229 बोलियां मिली थीं. ये बॉन्ड 6.79 प्रतिशत सालाना की कूपन दर पर 10 साल के लिए जारी किए गए हैं. इसमें राष्ट्रीय पेंशन योजना, ग्रामीण डाक जीवन बीमा, भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक ने भाग लिया. बीएसएनएल के अलावा एमटीएनएल जल्द ही सॉवरेन बांड के जरिए 6500 करोड़ जुटाएगी.