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चीन ने भारतीय नाविकों की एंट्री को किया बैन! हजारों के बेरोजगार होने की आशंका

अखिल भारतीय नाविक एवं सामान्य कर्मचारी संघ ने केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप कर हजारों भारतीय नाविकों की नौकरियां बचाने में मदद करने की गुहार लगाई है.

भारतीय कर्मचारियों वाले जहाज की एंट्री नहीं (प्रतीकात्मक तस्वीर: PTI) भारतीय कर्मचारियों वाले जहाज की एंट्री नहीं (प्रतीकात्मक तस्वीर: PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 26 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 10:46 AM IST
  • नाविकों के कर्मचारी संघ का दावा
  • सरकार से मदद की लगाई गुहार

अखिल भारतीय नाविक एवं सामान्य कर्मचारी संघ (All India Seafarers and general workers Union) ने आरोप लगाया है कि चीन भारतीय चालक दल वाले जहाजों को अपनी सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं दे रहा है. संघ ने सरकार से मदद की गुहार करते हुए कहा है कि इससे हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे.

हालांकि वरिष्ठ सरकारी अध‍िकारियों का कहना है कि उन्हें चीन से ऐसी कोई आधि‍कारिक जानकारी नहीं मिली है. कर्मचारी संघ ने केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप कर हजारों भारतीय नाविकों की नौकरियां बचाने में मदद करने की गुहार लगाई है.

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नाविकों की भर्ती नहीं

सेलर्स के संगठन का आरोप है कि चीन जाने वाले जहाजों के लिए कंपनियां नाविकों की भर्ती नहीं कर रही हैं. संगठन ने इसकी कोई वजह नहीं बताई है कि चीन आख‍िर ऐसा क्यों कर रहा है. 

संगठन ने बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनेवाल को लिखे एक पत्र में दावा करते हुए कहा कि इस कारण से करीब 20 हजार नाविकों को घर पर बैठना पड़ा है. 

20 हजार नाविक घर बैठे! 

संगठन ने लेटर में कहा है, 'मार्च 2021 से अगर कोई जहाज भारतीय कर्मचारी के साथ चीन के बंदरगाह पर पहुंच रहा हैं, तो चीन सरकार उस जहाज को बंदरगाह में प्रवेश की अनुमति नहीं दे रही है. इसकी वजह से करीब 20 हजार भारतीय नाविकों को घर बैठना पड़ा है.’

कर्मचारी संघ की तरफ से इस पत्र की प्रतियां विदेश मंत्रालय और क्षेत्र नियामक, जहाजरानी महानिदेशालय को भी भेजी गई है. दूसरी तरफ टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक अधकिारियों का कहना है कि उन्हें चीन सरकार से इस तरह के रोक की कोई  आध‍िकारिक जानकारी नहीं मिली है. अखबार के मुताबिक महानिदेशक (श‍िपिंग) अमिताभ कुमार ने कहा, 'हमें चीन सरकार से या विदेश मंत्रालय से ऐसी कोईआधिकारिक जानकारी नहीं मिली है. हमारे आंकड़े भी ऐसे किसी घटना की जानकारी नहीं देते.' 

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