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चीन (China) के बेहद सख्त लॉकडाउन (Lockdown) से अप्रैल में चीन में मंदी का प्रकोप और तेज हो गया है. इसके असर से शंघाई (Shanghai) समेत कई शहरों में फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप होने के साथ ही डिमांड भी लुढ़क गई है. अब चीन के इन प्रतिबंधों के असर से ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर पड़ने का डर है, जिससे मंदी का दायरा बढ़कर दुनियाभर में पहुंच सकता है.
कोरोना के चलते चीन में लगाए गए सख्त लॉकडाउन से दुनियाभर में मंदी की आहट तेज हो रही है. दरअसल, चीन के कई बड़े शहरों में प्रतिबंधों की वजह से सामान्य जनजीवन के साथ ही आर्थिक गतिविधियों पर भी तगड़ा ब्रेक लगा है. इससे दुनिया की इस दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की हालत पतली हो गई है.
लॉकडाउन की वजह से चीन में आर्थिक गतिविधियां अप्रैल में तेजी से गिरी हैं. चीन में शंघाई समेत कई बड़े शहरों में कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण काफी ज्यादा फैल गया है. इससे यहां फैक्ट्रियां बंद हैं और सड़कें सूनी पड़ी हुई हैं.
सप्लाई चेन बाधित होने की आशंका
लॉकडाउन की वजह से डिमांड काफी ज्यादा गिर गई है, जिससे वैश्विक सप्लाई चेन के प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है. चीन में कड़े प्रतिबंधों की वजह से अप्रैल में मंदी भी काफी बढ़ गई. फैक्ट्री आउटपुट (Factory Output) और ज्यादा गिर गया.
साथ ही डिमांड (Demand) भी अनुमान से कम रही. परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अप्रैल का पहला ऐसा डेटा है, जो कोरोना महामारी और सरकार की जीरो-कोविड पॉलिसी (Zero Covid Policy) के असर से अर्थव्यवस्था को हुए भारी नुकसान का सीधा हाल बता रहा है.
चीन में फैक्ट्री एक्टिविटी दो साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई हैं. इस दौरान मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई मार्च के 49.5 से गिरकर 47.4 पर आ गया. मैन्युफैक्चरिंग के साथ ही कंस्ट्रक्शन और सर्विसेज सेक्टर में भी हालात नाजुक हैं. कंस्ट्रक्शन और सेवा क्षेत्रों में एक्टिविटीज को मापने वाला गैर-विनिर्माण गेज मार्च के 48.4 से गिरकर 41.9 पर आ गया है, जो फरवरी 2020 के बाद का न्यूनतम स्तर है.
प्रॉडक्शन और डिमांड दोनों में तेज गिरावट
मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में गिरावट प्रॉडक्शन और डिमांड दोनों में तेज गिरावट से हुई है. कोरोना के हालिया प्रकोप से देशभर की कई जगहों पर असर हुआ है. इससे कई उद्योगों के सामने उत्पादन घटाने या बंद करने तक की नौबत आ गई है. ऐसे में इस लॉकडाउन का चीन के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी काफी असर पड़ेगा.
आशंका है कि अगले छह महीनों तक दुनियाभर में काफी अस्थिर माहौल रहेगा. आर्थिक के साथ साथ सामाजिक समस्याओं के भी इस दौरान उभरने का डर है. रूस-यूक्रेन युद्ध और महंगाई से जूझ रही दुनिया के लिए चीनी अर्थव्यवस्था की पतली हालत एक बड़ी परेशानी ला सकती है. वैश्विक सप्लाई चेन पर भी ज्यादा असर पड़ने की आशंका है.